Saturday 10 December, 2011

कांडा के नियुक्ति से अग्रवाल समाज का मान बढ़ा है-बी ड़ी

श्रीगंगानगर-अग्रवाल सेवा समिति और सेठ मेघराज जिंदल चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में नगर विकास न्यास के चेयरमेन ज्योति कांडा अग्रवाल का रविवार को एक भव्य,गरिमापूर्ण समारोह में अभिनंदन किया जाएगा। यह समारोह हनुमानगढ़ रोड पर स्थित विकास डब्ल्यू एस पी के वेयर हाउस प्रांगण में होगा। सेवा समिति के मुख्य संरक्षक बी डी अग्रवाल ने एक बयान में कहा है कि अग्रवाल समाज की सामाजिक एवं सांगठनिक एकता के कारण राजस्थान की कांग्रेस सरकार के मुखिया अशोक गहलोत ने अग्रवाल समाज को महत्व देते हुए समाज के ऊर्जावान,युवा नेता ज्योति कांडा अग्रवाल को नगर विकास न्यास का चेयरमेन नियुक्त किया है। श्रीअग्रवाल ने कहा है कि कांडा की नियुक्ति से अग्रवाल समाज का सम्मान बढ़ा है। समाज में उत्साह है। उन्होने कहा कि अग्रवाल सेवा समिति समाज को एकता के सूत्र में पिरोने के प्रयास के मद्देनजर यह समारोह आयोजित किया जा रहा है। उन्होने बताया कि इस समारोह में श्रीगंगानगर,हनुमानगढ़ जिले की अगर संस्थाओं के पदाधिकारियों,कार्यकारिणी को आमंत्रित किया गया है। सभी संयुक्त रूप से श्री कांडा का अभिनंदन करेंगी। श्रीअग्रवाल ने समाज को बधाई देते हुए कहा कि यह तो एकता की शुरुआत का पहल नतीजा है। अगर समाज इसी प्रकार एकजुट रह कर काम करेगा तो समाज को निरंतर इससे भी बढ़ी उपलब्धियां मिलती रहेंगी। उन्होने सभी अग्र परिवारों से समारोह में उपस्थित होने का आग्रह किया है ताकि संगठन की शक्ति दूर दूर तक दिखाई दे और अनुभव हो।

Sunday 9 October, 2011

नजर उठे तो कजा होती है,


नजर उठे तो कजा होती है,

नजर झुके तो हया होती है।

नजर तिरछी हो तो अदा होती है,

नजर सीधी हो तो फिदा होती है।

Thursday 22 September, 2011

गणेश जी फिर चर्चा में

श्रीगंगानगर- गणेश जी के नाम पर आज शाम को जो चर्चा शुरू हुई वह दुनिया भर में फैल गई। कौन जाने किसने किसको पहला फोन करके या मौखिक ये कहा, गणेश जी की मूर्ति के सामने घी का दीपक जला कर तीन मन्नत मांगो पूरी हो जाएगी। उसके बाद तीन अन्य लोगों को ऐसा करने के लिए कहो। बस उसके बाद शुरू हो गया घर घर में गणेश जी के सामने दीपक जलाने,मन्नत मांगने और आगे इस बात को बताने का काम। एक एक घर में कई कई फोन इसी बात के लिए आए। श्र्द्धा,विश्वास और आस्था कोई तर्क नहीं मानती। अगर किसी के घर में कुछ ऐसा करने को तैयार नहीं थे तो एक ने यह कह दिया-अरे दीपक जलाने में क्या जाता है। कुछ बुरा तो नहीं कर रहे। लो जे हो गया। बस, ऐसे ही यह सब घरों में होने लगा। किसी के पास जोधपुर से फोन आया। तो किसी के पास दिल्ली से। किसी को इसकी सूचना अपने रिश्तेदार से मिली तो किसी को दोस्त के परिवार से। शुरुआत कहाँ से किसने की कोई नहीं जान सकता। 1994 के आसपास गणेश जी को दूध पिलाने की बात हुई थी। देखते ही देखते मंदिरों में लोगों की भीड़ लग गई थी। लोग अपना जरूरी काम काज छोडकर गणेश जी को दूध पिलाने में लगे थे।

Wednesday 21 September, 2011

जेल उपाधीक्षक रिश्वत लेते पकड़ा

श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिला जेल के उप अधीक्षक महेश बैरवा को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथो गिरफ्तार कर लिया। उसने पांच सौ रूपये रिश्वत के धोलीपाल के बलराम पुनिया से ली थी। जैसे ही उसको कार्यवाही की शंका हुई उसने पांच सौ रूपये टॉयलेट में डालकर पानी चला दिया।ब्यूरो ने यह नोट टॉयलेट तोड़ कर निकाला। वैसे तो उसके हाथ रंगीन हो गए थे। सूत्रों के अनुसार उसने यह राशि हत्या केआरोपियों से उनकी परिवार की महिलाओं को मिलाने के लिए लिए थे। कुलविंदर सिंह तथा उसके परिवार के आठ सदस्य हत्या के आरोप में इस जेल में हैं। यह कार्यवाही बीकानेर के अतिरिक्त पुलिश अधीक्षक रवि गौड़ ने की।

Sunday 18 September, 2011

पुत्र के कंधे को तरस गई पिता की अर्थी

श्रीगंगानगर-सनातन धर्म,संस्कृति में पुत्र की चाहना इसीलिए की जाती है ताकि पिता उसके कंधे पर अंतिम सफर पूरा करे। शायद यही मोक्ष होता होगा। दोनों का। लेकिन तब कोई क्या करे जब पुत्र के होते भी ऐसा ना हो। पुत्र भी कैसा। पूरी तरह सक्षम। खुद भी चिकित्सक पत्नी भी। खुद शिक्षक था। तीन बेटी,एक बेटा। सभी खूब पढे लिखे। ईश्वर जाने किसका कसूर था? माता-पिता बेटी के यहाँ रहने लगे। पुत्र,उसके परिवार से कोई संवाद नहीं। उसने बहिनों से भी कोई संपर्क नहीं रखा। बुजुर्ग पिता ने बेटी के घर अंतिम सांस ली। बेटा नहीं आया। उसी के शहर से वह व्यक्ति आ पहुंचा जो उनको पिता तुल्य मानता था। सूचना मिलने के बावजूद बेटा कंधा देने नहीं आया।किसको अभागा कहेंगे?पिता को या इकलौते पुत्र को! पुत्र वधू को क्या कहें!जो इस मौके पर सास को धीरज बंधाने के लिए उसके पास ना बैठी हो। कैसी विडम्बना है समाज की। जिस बेटी के घर का पानी भी माता पिता पर बोझ समझा जाता है उसी बेटी के घर सभी अंतिम कर्म पूरे हुए। सालों पहले क्या गुजरी होगी माता पिता पर जब उन्होने बेटी के घर रहने का फैसला किया होगा! हैरानी है इतने सालों में बेटा-बहू को कभी समाज में शर्म महसूस नहीं हुई।समाज ने टोका नहीं। बच्चों ने दादा-दादी के बारे में पूछा नहीं या बताया नहीं। रिश्तेदारों ने समझाया नहीं। खून के रिश्ते ऐसे टूटे कि पड़ोसियों जैसे संबंध भी नहीं रहे,बाप-बेटे में। भाई बहिन में। कोई बात ही ऐसी होगी जो अपनों से बड़ी हो गई और पिता को बेटे के बजाए बेटी के घर रहना अधिक सुकून देने वाला लगा। समझ से परे है कि किसको पत्थर दिल कहें।संवेदना शून्य कौन है? माता-पिता या संतान। धन्य है वो माता पिता जिसने ऐसे बेटे को जन्म दिया। जिसने अपने सास ससुर की अपने माता-पिता की तरह सेवा की। आज के दौर में जब बड़े से बड़े मकान भी माता-पिता के लिए छोटा पड़ जाता है। फर्नीचर से लक दक कमरे खाली पड़े रहेंगे, परंतु माता पिता को अपने पास रखने में शान बिगड़ जाती है। अडजस्टमेंट खराब हो जाता है। कुत्ते को चिकित्सक के पास ले जाने में गौरव का अनुभव किया जाता है। बुजुर्ग माता-पिता के साथ जाने में शर्म आती है। उस समाज में कोई सास ससुर के लिए सालों कुछ करता है। उनको ठाठ से रखता है।तो यह कोई छोटी बात नहीं है। ये तो वक्त ही तय करेगा कि समाज ऐसे बेटे,दामाद को क्या नाम देगा! किसी की पहचान उजागर करना गरिमापूर्ण नहीं है।मगर बात एकदम सच। लेखक भी शामिल था अंतिम यात्रा में। किसी ने कहा है-सारी उम्र गुजारी यों ही,रिश्तों की तुरपाई में,दिल का रिश्ता सच्चा रिश्ता,बाकी सब बेमानी लिख।

Thursday 8 September, 2011

सम्पति के लिए ससुर ने किया पुत्र वधू पर हमला

श्रीगंगानगर- सम्पति के विवाद में एक आदमीं ने अपने पोतों कि साथ मिलकर अपनी पुत्र वधू पर हमला कर दिया। पीड़ित संतोष सिहाग ने थाना में मुकदमा दर्ज करवाया है। संतोष का पति देवी लाल वकील है। घटना के समय वह कोर्ट में था। संतोष का आरोप है कि दिन में वह घर में नाती पोते के साथ थी। तभी ससुर मोमन राम कुछ व्यक्तियों के साथ आये। सब ने संतोष पर हमला बोल दिया। बहू का गला दबाकर उसे नीचे गिरा दिया। विजेंद्र और राजिया ने संतोष को डंडों से पीटना शुरू कर दिया। हालाँकि घटना के समय काफी लोग मकान के बाहर जमा हो गए थे लेकिन कोई मदद को नहीं आया। बाद में हमलावर खुद ही यह कहते हुए चले गए कि मकान खाली नहीं किया तो जान से मार देंगे। उधर वकील देवी लाल का कहना है कि यह मकान उसका खुद का ख़रीदा हुआ है। परिवार का इसमें कोई लेना देना नहीं है।

Wednesday 7 September, 2011

जब अपने आप नहीं गिरा तो प्रशासन ने गिराया मकान

श्रीगंगानगर-कई घंटे के इंतजार के बावजूद जब क्षतिग्रस्त दो मंजिला मकान नहीं गिरा तो प्रशासन ने उसको गिरा दिया। ऐसा इसलिए करना पड़ा ताकि कोई हादसा ना हो। एस एस बी रोड पर शिव मंदिर के सामने छोटे साइज के मकान का एक हिस्सा थोड़ा धंस गया। इससे मकान एक तरफ को झुक गया। मौके पर लोगों की भीड़ लग गई। पुलिस भी आ गई। उसने ऊपर रहने वाले परिवार से मकान खाली करवा लिया। फिर इन्तजार होनेलगा उसके गिरने का। पत्रकार पहुँच गए उसकी लाइव तस्वीर लेने के लिए। मगर मकान नहीं गिरा। प्रशासन मौके पर पहुँच चुका था। इन्तजार जारी रहा। जब मकान नहीं गिरा तो प्रशासन ने अपनी मशीनरी लगा उस मकान को गिरा दिया। यह काम नगर विकास न्यास ने किया। क्योंकि यह मकान उसी के क्षेत्र में था। न्यास के कार्यवाहक सचिव हितेश कुमार ने बताया कि मकान के निर्माण की ना तो कोई मंजूरी थी। ना ही कोई नक्शा पास था। मकान कृषि भूमि पर बना हुआ था। न्यास ने साथ वाले मकान मालिक को भी नोटिस दिया है। मकान के इस प्रकार धंसने का सही कारण क्या है कहना मुश्किल है। मकान गंदे नाले के एक दम किनारे पर था। संभव है बरसात के कारण नींव में पानी जाने के कारण ऐसा हुआ हो। इसके अलावा साथ में जो मकान बन रहा है उसका निर्माण भी एक कारण हो सकता है। जिस मकान को गिराया गया है वह सब्जी बेचने वाले गिरधारी लाल का है। मकान अपने आप गिरता तो कुछ और नुकसान की आशंका थी। बड़े हादसे को टालने के लिए मकान को गिराया गया। प्रशासन के अनुसार शहर में लगातार हो रही बरसात से कई मकाओं को क्षति पहुंची है।

Tuesday 6 September, 2011

पत्नी को जलाकर मार डालने का आरोप

श्रीगंगानगर-अलग अलग घटनाओं में दो विवाहित महिलाओं की मौत हो गई। इनके सम्बन्ध में हिन्दुमलकोट और पुरानी आबादी थाना में मुकदमें दर्ज करवाए गए हैं। कोनी निवासी गुरमुख सिंह पुत्र चट्टान सिंह ने हिन्दुमलकोट थाना में अपने दामाद के खिलाफ आईपीसी की धारा ४९८ ए,३०२ में प्रकरण दर्ज करवाया है। उसका कहना है कि उसकी लड़की सुनीता की शादी २००३ में जोधपुर के राजेश कुमार के संग हुई थी। शादी के बाद सुनीता की सास,मौसी सास उसे तंग करने लगी। कुछ समय बाद सुनीता कोनी गाँव में आकर रहने लगी। वहीँ उसका पति राजेश भी आ गया। सोमवार की रात को गुरमुख को सुचना मिली की लड़की-दामाद का झगडा हो गया। सुनीता को जली हालत में हॉस्पिटल भर्ती करवाया गया है। मंगलवार को सुबह उसकी मौत हो गई। रिपोर्ट में सुनीता के पति पर आरोप लगाया गया है कि उसने दहेज़ के लिए सुनीता को तेल डाल कर जला डाला। उधर पीलीबंगा के रामप्रकाश पुत्र वजीर चंद ने दामाद सुमित कुमार तथा उसके माता पिता के खिलाफ दहेज़ के लिए उसकी लड़की की हत्या करने के आरोप में केस दर्ज करवाया है।

Monday 5 September, 2011

यह सब होता है

परिवार में कई भाई,बहिन पिता की दुकान कोई खास बड़ी नहीं पर घर गृहस्थी मजे से चल रही हैबच्चे पढ़ते हैं समय आगे बढ़ा बच्चे भी बड़े हुए खर्चा बढ़ा बड़ा लड़का पिता का हाथ बंटाने लगा बाकी बच्चों की कक्षा बड़ी हुई खर्चे और अधिक बढ़ गए चलो एक लड़के ने और घर की जिम्मेदारी संभाल ली एक भाई पढता रहादूसरे भाई उसी में अपने सपने भी देखने लगेघर की कोई जिम्मेदारी नहीं थी सो पढाई करता रहा आगे बढ़ता रहादिन,सप्ताह,महीने,साल गुजरते कितना समय लगता हैवह दिन भी गया जब छोटा बड़ा बन गया इतना बड़ा बन गया कि जो घर के बड़े थे उसके सामने छोटे पड़ गए जब कद बड़ा तो रिश्ता भी बड़े घर का आया रुतबा और अधिक हो गया खूब पैसा तो होना ही था भाई,बहिनों की जिम्मेदारी तो पिता,भाइयों ने पूरी कर ही दी पुश्तैनी काम में अब उतना दम नहीं था कि भाइयों के घर चल सके इसके लायक तो यही था कि वह भाइयों की मदद करे उनको अपने बराबर खड़ा करे ये तो क्या होना था उसने तो पिता की सम्पति में अपना हिस्सा मांगना शुरू कर दिया बड़ा था सबने उसी की सुनी देना पड़ा उसकी हिस्सा अब भला उसको ये कहाँ याद था कि उसके लिए भाइयों क्या क्या किया? बड़े भाइयों का कद उसके सामने छोटा हो गया। इस बात को याद रखने का समय किसके पास कि उसे यहाँ तक पहुँचाने में भाई बहिन ने कितना किस रूप में किया। उसने तो बहुत कुछ बना लिया। भाइयों के पास जो था उसका बंटवारा हो गया।
यह सब किसी किताब में नहीं पढ़ा। दादा,दादी,नाना,नानी ने भी ऐसी कोई बात नहीं सुने। यह तो समाज की सच्चाई है। कितने ही परिवार इसका सामना कर चुके हैं। कुछ कर भी रहे होंगे। कैसी विडम्बना है कि सब एक के लिए अपना कुछ ना कुछ त्याग करते हैं। उसको नैतिक,आर्थिक संबल देते हैं। उसको घर की जिम्मेदारी से दूर रखते हैं ताकि वह परिवार का नाम रोशन कर सके। समय आने पर सबकी मदद करे। उनके साथ खड़ा रहे। घर परिवार की बाकी बची जिम्मेदारी संभाले। उस पर भरोसा करते हैं। परन्तु आह! रे समय। जिस पर भरोसा किया वह सबका भरोसा तोड़ कर अपनी अलग दुनिया बसा लेता है। उसको यह याद ही नहीं रहता कि आज जो भी कुछ वह है उसमें पूरे परिवार का योगदान है। उसे यहाँ तक आने में जो भी सुविधा मिली वह परिवार ने दी। उसको घर की हर जिम्मेदारी से दूर रखा तभी तो यहाँ तक पहुँच सका। वह बड़ा हो गया लेकिन दिल को बड़ा नहीं कर सका। जिस दुकान पर वह कभी भाई ,पिता की रोटी तक लेकर नहीं आज वह उसमें अपना शेयर लेने के लिए पंचायत करवा रहा है। जो उसने कमाया वह तो उसके अकेले का। जो भाइयों ने दुकान से कमाया वह साझे का। बड़ा होने का यही सबसे अधिक फायदा है कि उसको छोटी छोटी बात याद नहीं रहती।शुक्र है भविष्य के बदलते परिवेश में ऐसा तो नहीं होने वाला। क्योंकि आजकल तो एक ही लड़का होता है। समाज का चलन है कि उसको पढने के लिए बाहर भेजना है। जब शादी होगी तो बेटा बहू या तो बच्चे के नाना नानी को अपने यहाँ बुला लेंगे या बच्चे को दादा दादी के पास भेज देंगे,उसको पालने के लिए। उनकी अपनी जिन्दगी है। प्राइवेसी है।


Saturday 3 September, 2011

अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के चुनाव समय पर होने मुशिकल

श्रीगंगानगर-मंडी समितियों के १४-१५ सितम्बर को होने वाले अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव आगे हो सकतेहैं। यह संकेत कृषि विपणन मंत्रालय से मिले। इसकी वजह है नगर परिषद्/नगरपालिका/पंचायत से मंडी समितियों के लिए चुने जाने वाले सदस्य का चुनाव स्थगित होना। चुनाव स्थगन का निर्णय हाई कोर्ट के आदेश के बाद कृषि विपणन निदेशालय ने लिए। निदेशालय अब इन चुनाव की अनुमति तभी देगा जब हाई कोर्ट से जरुरी दिशा निर्देश मिल जायेंगे। विभागीय सूत्रों ने बताया कि इन फैसलों के खिलाफ सरकार अपील करेगी। उसके बाद ही इन चुनावों के बारे में कुछ निर्णय लिया जा सकेगा। क्योंकि राजस्थान में कहीं तो मनोनीत पार्षद को वोट का अधिकार है कहीं नहीं। अगर ऐसी स्थिति में चुनाव होते है तो कोई दूसरा पक्ष कोर्ट में चला जायेगा। इसलिए जब तक प्रदेश में एक ही फैसला नहीं होगा तब तक चुनाव करवाना ठीक नहीं। इनके चुनाव ना होने के कारण मनोनयन सदस्यों के लिए ६ सितम्बर को होने वाला गजट नोटिफिकेशन होना मुश्किल है। गजट नोटिफिकेशन नहीं होगा तो अध्यक्ष का चुनाव किसी भी हालत में संभव नहीं। सूत्र कहते हैं कि वर्तमान हालत में १४-१५ सितम्बर को अध्यक्ष/उपाध्यक्ष का चुनाव होना मुश्किल लगता है। इसके अलावा जयपुर के एक वकील ने मंडी समितियों में महिलाओं को ५० प्रतिशत आरक्षण देने के खिलाफ एक याचिका लगा रखी है। अगर उसमें कुछ हुआ तो वह फैसला भी चुनाव को प्रभावित करेगा।

Sunday 21 August, 2011

मैडम का पानी भरता है।

रातों को नींद में
डरता है,
क्यों अन्ना अन्ना
करता है।
जो तेरी नीयत में
खोट नहीं,
तो अन्ना से क्यों
लड़ता है।
छोड़ दे कुर्सी
आ मैदान में,
क्यों मैडम का
पानी भरता है।

Wednesday 17 August, 2011

अन्ना के समर्थन में भूख हड़ताल

श्रीगंगानगर-अन्ना हज़ारे के समर्थन में महेश पेड़ीवाल,ज्योतिषी अजीत सहारण की भूख हड़ताल जारी है। आज धन मंडी के व्यापारियों ने अनशन स्थल पर आ अपना समर्थन जताया। मंडी में कई सौ व्यापारी हैं। उसको देखते हुए आने वाले व्यापारियों की संख्या बहुत कम रही। जबकि दी गंगानगर ट्रेडर्स संघ के अध्यक्ष संजय महिपाल ने सभी व्यापारियों के आने की बात कही� थी। व्यापारियों ने फूल माला पहनाकर महेश पेड़ीवाल और अजीत सहारण का अभिनंदन किया। फिर उनके साथ ही एक दिन के उपवास पर बैठ गए। राजस्थान व्यापार संघ ने भी एक दिन के उपवास का आह्वान किया है। आंदोलन से जुड़े तेजेंदर पाल टिम्मा ने बताया कि प्रतिदिन एक व्यापारिक संघ अनशन स्थल पर आकर भूख हड़ताल करने वालों के प्रति अपना समर्थन जताएँगे। अनशन स्थल पर आधी रात तक लोगों का आना जाना लगा रहा।

Sunday 31 July, 2011

पैसा फैंको तमाशा देखो


देखो देखो
बाइस्कोप देखो,
धर्मों का सजा है
बाजार देखो,
बाबाओं का बढ़ता
कारोबार देखो,
ये है बापू आशा राम
वैभव की इसकी
बहार देखो,
पैसा फैंको
तमाशा देखो।

Thursday 28 July, 2011

ऑनलाइन अखबार

गंगानगर-- हम सब जानते हैं कि कुछ कोस पर भाषा,बोली बदल जाती है और अखबारों की खबरें भी । श्रीगंगानगर के अखबार में हम जो खबर पढ़ते हैं वह किसी कस्बे,शहर में रहने वाला नहीं पढ़ पाता। अखबार भले ही एक हो मगर खबर एक समान नहीं होती। ऐसे में श्रीगंगानगर से दूर रहने वाले ये नहीं जान पाते कि श्रीगंगानगर क्षेत्र के आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, शिक्षा, चिकित्सा, कला, साहित्य,…………. पटल पर क्या हो रहा है। अब सब वही पढ़ेंगे जो श्रीगंगानगर मे रहने वाले। इसके लिए हम शुरू कर रहें हैं ऑनलाइन अखबार www.newsbox4u.com । आज जमाना इंटरनेट का है। धरती का कोई कोना ऐसा नहीं जहां इंटरनेट की पहुँच ना हो। जब इंटरनेट है तो www.newsbox4u.com भी होगा। हमारी योजना अगस्त के दूसरे सप्ताह में इसकी विधिवत आरंभ करने की है। यह क्षेत्र ऐसा है जिसमें हर पल सुधार,बदलाव,नयापन की आवश्यकता देखने को मिलती है। हमारा यह प्रयास होगा इसमें वो हर सामग्री हो जो आप लोग पढ़ना चाहते हो। संचालक,संपादक और पाठक की पसंद अलग अलग होती है। जरूरी नहीं है कि जो सामग्री पाठक पढ़ना चाहे वह संपादक दे। ऐसा भी हो सकता है कि संपादक तो देना चाहता है मगर संचालक की नीति में नहीं है। इसके बावजूद कोशिश रहेगी कि यह वेबसाइट सबकी चहेती बने। हम सबकी बात सबके साथ करेंगे। किसी की निंदा या चापलूसी करना कोई उद्देश्य नहीं। हां,आलोचना,प्रशंसा तो होगी ही। व्यक्तिगत छींटाकसी हमारी पत्रकारिता का हिस्सा नहीं रहा। फिलहाल इसको अंतिम रूप दिया जा रहा है। उम्मीद है कि यह जल्दी ही आपकी दिनचर्या का हिस्सा बनेगी।

Tuesday 26 July, 2011

कारगिल विजय दिवस




श्रीगंगानगर में कारगिल विजय दिवस बड़े ही गौरवपूर्ण ढंग से सादगी के साथ मनाया गयाइसमें अमर जवान ज्योति के प्रतीक स्थान पर सेना,पुलिस,विधार्थियों और आम जन ने शहीदों को पुष्प अर्पित कियेकार्यक्रम में वीरांगनाओं को सम्मानित किया गया

Monday 25 July, 2011

समाज को पल्ले बांधने की तैयारी



श्रीगंगानगरसवा दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को निगाह में रख अग्रवाल समाज को सभापति जगदीश जांदू का पल्लू थमाने की तैयारी है। इसके लिए ताना बाना बुन लिया गया है। अग्रवाल सेवा समिति के अध्यक्ष नत्थू राम सिंगला के हाथ में इस महत्वपूर्ण काम की कमान है जो पार्षद के नाते जांदू के करीबी हैं। समिति के छात्रवृति कार्यक्रम में गए समाज के जाने माने व्यक्तियों ने यह सब अपनी आँखों से देखा। दिल से महसूस किया। यहां जगदीश जांदू एंड कंपनी प्रमुखता से मौजूद थी। खुद जगदीश जांदू मंच पर थे। उनके साथ थे आयुक्त हितेश कुमार । अनेक पार्षद अग्रिम पंक्ति में स्थान पाए हुए थे। किसी समाज के कार्यक्रम में किसी गैर अग्रवाल राजनेता की कंपनी की उपस्थिति नई थी। अगर जांदू एंड कंपनी को जनप्रतिनिधि के नाते बुलाया गया तो फिर विधायक राधेश्याम गंगानगर को बुलाया जाना और भी बेहतर होता। आयुक्त के स्थान पर या उनके साथ जिला कलेक्टर की मौजूदगी समारोह को और भी भव्य बनाती। सत्ता के निकट समाज को ले जाना है तो फिर गौड़ साहब कौन सा दूर थे। नगर में रहने अन्य समाज से तालमेल बढ़ाना की इच्छा थी तो फिर अरोड़ा,ब्राह्मण,राजपूत,सिख,नायक,मेघवाल .......... समाज के अध्यक्षों को बुला सम्मानजनक स्थान पर बिठाया जाता। लेकिन ऐसा तो दिल में था ही नहीं। ये नेता जांदू के विरोधी हैं। जबकि श्री सिंगला जांदू के पाले में। जब वे उनके साथ है तो उनका पहला कर्तव्य है अग्रवाल समाज को जांदू का पल्लू पकड़वाना। समिति के मुख्य संरक्षक बी डी अग्रवाल की भी इसमें मूक सहमति दिखी। वरना जांदू एंड कंपनी को बुलाना असंभव था। जांदू की एक मात्र ख़्वाहिश विधायक बनना है। अग्रवाल समाज श्री सिंगला के पीछे लग अगर जांदू का पल्लू पकड़ लेता है तो उसे और क्या चाहिए। यह उनकी लीडरशिप में अग्रवाल समाज का नया इतिहास लिखे जाने का संकेत है। संकेत है नई चेतना का। क्योंकि दूसरे समाज के राजनेता,उसके समर्थक जनप्रतिनिधियों को बुलाने की पहल उनकी ही है। यह उनके खुले विचारों का कमाल है। देखना ये कि अग्रवाल समाज इस बात को समझता है या नहीं। फिलहाल वे जांदू को यह संदेश देने में सफल हो गए कि मेरे नेतृत्व में अग्रवाल समाज उनके साथ है। अग्रवाल समाज अपनी शोभा यात्रा में श्री सिंगला के नेतृत्व में यह नारा जांदू तुम आगे बढ़ो,अग्रवाल तुम्हारे साथ हैं लगाते दिखे तो अचरज नहीं होना चाहिए। मजबूर कहते हैंजो झूठ पे खुल्ला वार करे,जो सच पे जां निसार करे,जो साफ कहे जो साफ रहे, बेखौफ हो हक की बात कहे। खुदगर्ज तेरी दुनिया वाले इसको बगावत कहते हैं।

Tuesday 19 July, 2011

हम सब जानते हैं कि कुछ कोस पर भाषा,बोली बदल जाती है और अखबारों की खबरें भी । श्रीगंगानगर के अखबार में हम जो खबर पढ़ते हैं वह किसी कस्बे,शहर में रहने वाला नहीं पढ़ पाता। अखबार भले ही एक हो मगर खबर एक समान नहीं होती। ऐसे में श्रीगंगानगर से दूर रहने वाले ये नहीं जान पाते कि श्रीगंगानगर क्षेत्र के आर्थिक,सामाजिक,राजनीतिक,धार्मिक,शिक्षा,चिकित्सा,कला,साहित्य,…………. पटल पर क्या हो रहा है। अब सब वही पढ़ेंगे जो श्रीगंगानगर मे रहने वाले। इसके लिए हम शुरू कर रहें हैं ऑनलाइन अखबार www.newsbox4u.com । आज जमाना इंटरनेट का है। धरती का कोई कोना ऐसा नहीं जहां इंटरनेट की पहुँच ना हो। जब इंटरनेट है तो www.newsbox4u.com भी होगा।

यह तभी संभव होगा जब आप इस वेबसाइट को अपना जान हमें अपने इलाके की हर खबर से परिचित करवाएंगे। यह आप ही कर सकते हैं क्योंकि आप अपने इलाके की नब्ज को जानते हैं। उसका नजरिया आपकी नजर में है। आपकी खबर कुछ मिनट में दुनिया की नजर में होगी। उम्मीद है आपकी मार्फत दुनिया आपके इलाके को आपकी नजर से पढ़ पाएगी।

आपका साथी

गोविंद गोयल ,संपादक

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Sunday 17 July, 2011

मंत्री के लिए छोटे अधिकारी


राजस्थान के मंत्री गुरमीत सिंह कुनर ने किसानों को पूरा सिंचाई पानी दिलाने के लिए पंजाब में राजस्थान की नहरों का दौरा किया। पंजाब राजस्थान के हिस्से का पानी कितना कहाँ देता है इसकी जानकारी ली। एक मंत्री को यह सब पंजाब के एक एक्स ए एन ने बताया। राजस्थान के मंत्री के लिए पंजाब का कोई बड़ा अधिकारी नहीं पहुंचा। जबकि गुरमीत सिंह कुनर राजस्थान के जल संसाधन मंत्री भी है। ऐसा लगता है की पंजाब ने राजस्थान के मंत्री को कोई अहमियत नहीं दी। पंजाब की धरती पर राजस्थान की नहरों में जितना पानी बहता है उसमें सरे आम चोरी होती है। राजस्थान सरकार कुछ नहीं कर पाती।हरि के पतन पर एक एक्स ए एन था । फिरोजपुर में पंजाब ने अपने एस ई को मंत्री को जानकारी देने के लिए भेजा।

Wednesday 13 July, 2011

पुलिस अधिकारी के डर से मांगी मौत की अनुमति


एक आम आदमी किसी पुलिस अधिकारी के खौफ से मरने की अनुमति मांगे तो बात कुछ हजम हो सकती है। यहाँ तो पुलिस वाला पुलिस अधिकारी के डर से आत्महत्या की अनुमति मांग रहा है। कोतवाली थाना में एक ए एस आई है धर्मपाल। उसका आरोप है कि उसे कोतवाल नारायण सिंह लगातार प्रताड़ित कर रहा है। वह इतना तंग आ गया कि मरना चाहता है। इस बारे में उसने पुलिस अधिकारियों से लेकर राष्ट्रपति तक पत्र लिखा है। पुलिस में इस मामले से हड़कंप मचा हुआ है।

Tuesday 5 July, 2011

कुनर गुजरात की मंडी में



अहमदाबादराजस्थान के कृषि विपणन मंत्री श्री गुरमीत सिंह कुनर ने आज यहाँ से 150 किलोमीटर दूर जीरा और ईसबगोल के लिए विख्यात उंझा मंडी का दौरा किया। उनके साथ गुजरात मार्केटिंग बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों का एक दल था। श्री कुनर ने मंडी की कार्यप्रणाली का अवलोकन किया। मंडी के चेयरमेन, अधिकारियों के साथ बैठक कर विचार विमर्श किया। उन्होने यहाँ के व्यापारियों,किसानों,जनप्रतिनिधियों से मुलाक़ात की। इसके बाद श्री श्री कुनर आलू की जानी मानी मंडी डीसा पहुंचे। यहां भी श्री कुनर ने मंडी का अवलोकन कर यहां विपणन संबंधी सुविधाओं की जानकारी ली। आलू का प्रोसेसिंग प्लांट देखा। श्री कुनर ने दोनों मंडियों मे बोली की प्रक्रिया भी देखी।श्री कुनर ने अहमदाबाद में आधुनिक कोल्ड स्टोरेज का निरीक्षण कर कृषि उत्पादों के आधुनिक भंडारण तरीकों की जानकारी ली। श्री कुनर अपने अधिकारियों के साथ कल रात अहमदाबाद पहुंचे थे।

बुधवार को श्री कुनर का नासिक की मंडी का अवलोकन करने का कार्यक्रम है। नासिक देश भर प्याज की मंडी के रूप में अपनी पहचान रखता है।

श्री कुनर ने बताया कि राजस्थान मे जितना भी जीरा होता है उसका सत्तर से अस्सी प्रतिशत उंझा मंडी में बिक्री हेतु लाया जाता है। श्री कुनर के अनुसार उनके दौरे का मकसद वह जानकारी लेना है जिसके कारण राजस्थान के किसान इतनी दूर अपनी फसल लेकर आते हैं। ताकि उनको वैसी ही सुविधाएं राजस्थान की मंडियों में उपलब्ध करवाई जा सके। श्री कुनर ने बताया कि किसानों को मंडियों मे सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी जो देश की अन्य मंडियों में है। जिससे किसानों को अपने घर से दूर ना जाना पड़े और फसल का बढ़िया दाम घर के आस पास स्थित मंडी में मिल सके।

Saturday 2 July, 2011

चालू है इन्टरनेट

श्रीगंगानगर—आप इंटरनेट के रसिया हो! आपके पास शानदार,जानदार और दमदार लेपटोप है! तो बस आपको किसी कंपनी से इंटरनेट सुविधा लेने की कोई जरूरत नहीं है। बिना कोई दाम के आप इंटरनेट घंटों यूज कर सकते हो। यह कोई मज़ाक नहीं। ना ही किसी कंपनी का कोई नया फंडा है। यह तो जुगाड़ है जो आपके काम आ सकता है। बस इसके लिए आपको उस स्थान के आस पास जाना होगा जहां ब्रॉडबैंड से इंटरनेट चलाया जाता है। जहां इंटरनेट चल रहा हो ,उसके कुछ फुट दूर आप भी अपने लेपटोप पर इंटरनेट यूज करने का आनंद ले सकते हो। श्रीगंगानगर के एक स्थान पर नहीं अनेक स्थान पर इस प्रकार से किसी के ब्रॉडबैंड को कोई और यूज कर रहा है। कोई भी असामाजिक तत्व या कोई शरारती इस प्रकार से किसी को आर्थिक चपत लगा सकता है। क्योंकि जितना वह व्यक्ति उपलोड,डाऊनलोड करेगा उसका बिल उसके खाते मे आएगा जिसका वह कनैक्शन है। चूंकि उसकी जेब से कुछ नहीं लगना इसलिए वह इस्तेमाल भी बेदर्दी से करेगा। बीएसएनएल के अधिकृत सूत्र इस बात को स्वीकार करते हैं कि ऐसा संभव है। उनका कहना है कि जिन यूजर के यहाँ वाई फाई मॉडम होता है उसके आस पास कोई दूसरा भी इंटरनेट यूज कर सकता है। वाई फाई मॉडम की रेंज कई फुट तक होती है। इसलिए कई लेपटोप पर एक साथ एक ब्रॉडबैंड से इंटरनेट चलाया जा सकता है। यह मॉडम इस लिए होता है ताकि एक ही बिल्डिंग में रहने वाले एक कनैक्शन से अलग अलग बैठ कर अपना काम कर सकें। उनको कनैक्शन मे अधिक राशि ना खर्च करनी पड़े। सूत्र ने कहा कि ब्रॉडबैंड कनैक्शन का दुरुपयोग रोकने के लिए उसका पासवर्ड किसी को नहीं बताना चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि कोई आस पास ऐसा व्यक्ति तो नहीं जो आपके इंटरनेट चलाने के समय को जानता हो। संभव है वह उस समय अपने लेपटोप पर इंटरनेट चलाये जब आपका इंटरनेट ऑन हो। सूत्र ने बताया कि इंटरनेट का दुरुपयोग ना हो इसके लिए सावधानी जरूरी है।

Saturday 25 June, 2011

एक रोटी और



श्रीगंगानगर—पति भोजन कर रहा है। पत्नी उसके पास बैठी हाथ से पंखा कर रही है। जो चाहिए खुद परोसती है मनुहार के साथ। “एक रोटी तो और लेनी पड़ेगी। आपको मेरी कसम।“ पति प्यार भरी इस कसम को कैसे व्यर्थ जाने देता। रोटी खाई। तारीफ की। काम पर चला गया। यह बात आज की नहीं। उस जमाने की है जब बिजली के पंखे तो क्या बिजली ही नहीं हुआ करती थी। संयुक्त परिवार का जमाना था। रसोई बनाता चाहे कोई किन्तु खिलाने का काम माँ का और शादी के बाद पत्नी का था। पति रोटी आज भी खा रहा है। मगर पत्नी घर के किसी दूसरे काम में व्यस्त है। रोटी,पानी,सब्जी,सलाद जो कुछ भी था ,लाकर रखा और काम में लग गई। पति ने कुछ मांगा। पत्नी ने वहीं से जवाब दिया... बस करो। और मत खाओ। खराब करेगी। “तुमको मेरी कसम। आधी रोटी तो देनी ही पड़ेगी। पति ने कहा।“ “ नहीं मानते तो मत मानो। कुछ हो गया तो मुझे मत कहना। यह कहती हुई वह आधी रोटी थाली में डालकर फिर काम में लग गई।“ पति कब पेट में रोटी डालकर चला गया उसे पता ही नहीं लगा । तब और आज में यही फर्क है। रिश्ता नहीं बदला बस उसमें से मिठास गायब हो गई। जो रिश्ता थोड़ी सी केयर से मीठा होकर और मजबूत हो जाता था अब वह औपचारिक होकर रह गया। यह किसी किताब में नहीं पढ़ा। सब देखा और सुना है। रिश्तों में खिंचाव की यह एक मात्र नहीं तो बड़ी वजह तो है ही। एक दंपती सुबह की चाय एक साथ पीते हैं। दूसरा अलग अलग। एक पत्नी अपने पति को पास बैठकर नाश्ता करवाती है। दूसरी रख कर चली जाती है। कोई भी बता सकता है कि पहले वाले दंपती के यहाँ ना केवल माहौल खुशनुमा होगा बल्कि उनके रिश्तों में मिठास और महक होगी जो घर को घर बनाए रखने में महत्वपूर्ण पार्ट निभाती है। क्योंकि सब जानते हैं कि घर ईंट,सीमेंट,मार्बल,बढ़िया फर्नीचर से नहीं आपसी प्यार से बनते हैं। आधुनिक सोच और दिखावे की ज़िंदगी ने यह सब पीछे कर दिया है। यही कारण है कि घरों में जितना बिखराव वर्तमान में है उतना उस समय नहीं था जब सब लोग एक साथ रहते थे। घर छोटे थे। ना तो इतनी कमाई थी ना सुविधा। हाँ तब दिल बड़े हुआ करते थे। आज घर बड़े होने लगे हैं। बड़े घरों में सुविधा तो बढ़ती जा रही है मगर एक दूसरे के प्रति प्यार कम हो रहा है। बस, निभाना है। यह सोच घर कर गई है। पहले सात जन्म का बंधन मानते थे। अब एक जन्म काटना लगता है।

कुंवर बेचैन कहते हैं—रहते हमारे पास तो ये टूटते जरूर, अच्छा किया जो आपने सपने चुरा लिए। एक एसएमएस...अच्छा दोस्त और सच्चा प्यार सौ बार भी मनाना पड़े तो मनाना चाहिए। क्योंकि कीमती मोतियों की माला भी तो टूटने पर बार बार पिरोते हैं।


Sunday 12 June, 2011

कलेक्टर बेटी के रूप में

श्रीगंगानगर--कलेक्टर के रुतबे का प्रभाव जनप्रतिनिधियों पर नहीं पड़ा तो मुग्धा सिन्हा बेटी बन कर सामने आ खड़ी हुई। भावनात्मक अपील के पीछे अपनी सफाई दी। सभी को मीठी चाय का ऑफर दिया। ताकि खिचे,खिजे रिश्तों में मिठास इस प्रकार से घुल जाए ताकि कड़वाहट का नाम निशान भी ना रहे। हुआ भी ऐसा ही। 30 मई को जिला परिषद की बैठक में जो रिश्ते बिगड़े थे,वह 10 जून को वहीं फिर बन गए। शुरू में तो जनप्रतिनिधियों ने मुग्धा सिन्हा को खूब खरी खरी कही। उनपर कर्मचारियों को जप्रतिनिधियों के खिलाफ भड़काने के आरोप भी लगे। बीच में अजयपाल ज्याणी ने कलेक्टर मुग्धा सिन्हा को कुछ कहा। मुग्धा सिन्हा ने ओंठ पर अंगुली रख कर उनको चुप रहने को कहा। काफी देर तक वातावरण में तनाव रहा। कलेक्टर मुग्धा सिन्हा को बोलना ही पड़ा। मुग्धा सिन्हा बोलीं, मैं बोलुंगी तो बोलेगे कि बोलती है। मुझे नहीं मालूम था कि इतने लोग मुझे सुनने को .......... । हम लोग नहीं जनप्रतिनिधि हैं। विधायक पवन दुग्गल बीच में बोले। मुग्धा सिन्हा ने बोलना जारी रखा। शब्दों पर मत जाइए। भावना को समझें। मैंने किसी कर्मचारी को कुछ नहीं कहा। मुझे यहाँ बेटी कहा गया है। भगवान कृष्ण ने द्रोपदी की लाज बचाई। यह वो जिला है जहां कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ वातावरण बना हुआ है। इसलिए मुझे उम्मीद है कि मुझे भी यहाँ सहयोग मिलेगा। भावपूर्ण शब्दों में अपील की आड़ में सफाई देते समय मुग्धा सिन्हा की आँखों में आँसू ने दिखें हों मगर ये तो महसूस हो ही रहा था कि उनका गला भरा हुआ है। कोई महिला भरे सदन में बेटी के रूप में सहयोग मांगे तो कौन ऐसा होगा जो सहयोग नहीं देगा। कलेक्टर मुग्धा सिन्हा के मीठी चाय के आग्रह के साथ ही तनाव समाप्त हो गया। इसके बाद श्री ज्याणी ने अपने विभाग के सवालों का जवाब देते हुए कहा, सारिका ने मुझे बताया था। सारिका चौधरी ने खड़े होकर ऐतराज जताया। इस पर ज्याणी ने कहा, ठीक है आइंदा फॉर्मल रिश्ते रहेंगे। इंफोरमल नहीं। हर किसी को किसी ना किसी रिश्ते से बांधने वाले विधायक राधेश्याम गंगानगर ने श्री ज्याणी को पोता कहा। सदन में इसी प्रकार से रिश्तों की डोर एक दूसरे को बांधती रही। इस प्रकार के सम्बोधन के समय कृषि मंत्री गुरमीत सिंह कुनर ने चुटकी ली। वे बोले, सदन में माँ, बहिन,बेटी, बेटा, पोता...कोई नहीं होता। एक दूसरे को सम्बोधन नाम और पद से किया जाता है। शारदा कृष्ण कहते हैं-अपनों बीच लूटी है लाज,तुम बिन किसे पुकारूँ आज। झूठे को सच मनवाता है, नगर अंधेरा चौपट राज। अब एक एसएमएसअच्छा दोस्त और सच्चा प्यार 100 बार भी रूठ जाए तो हर बार उसे मना लेना चाहिए। क्योंकि कीमती मोतियों की माला कितनी बार भी टूटे उसे हर बार पिरोया जाता है।

Monday 6 June, 2011

जूता फिर हुआ महत्वपूर्ण

काँग्रेस मुख्यालय में हुई प्रेस कोंफ्रेंस में एक कथित पत्रकार द्वारा जनार्दन द्विवेदी को जूता दिखाने की घटना की निंदा की जानी चाहिए। वास्तव में यह पत्रकार नहीं है। हैरानी उस बात की है कि वह आदमी एक पत्रकार के रूप में वहां आया कैसे? ये अचरज नहीं तो और क्या है कि कोई भी इंसान पत्रकार बनकर प्रेस कोंफ्रेंस में बैठ गया। किसी ने पूछा तक नहीं। देश को चलाने वाली पार्टी की पीसी में ऐसी गफलत! इसने तो केवल जूता ही दिखाया। ऐसे हालत में तो कोई कुछ भी कर सकता है। इसका मतलब तो ये हुआ कि सुरक्षा नाम की कोई बात ही नहीं।चलो कुछ भी हुआ। इस घटना से जनार्दन द्विवेदी को बहुत नुकसान हुआ। उनकी बात तो पीछे रह गई। सुनील कुमार और उसका जूता छा गया। इस बात की तो जांच काँग्रेस को खुद भी करनी चाहिए कि कोई आदमी पत्रकार बन कर कैसे वहां आ गया।गत तीन दिनों से इस देश में वह हो रहा है जो नहीं होना चाहिएइसके बावजूद वह नहीं बोल रहा जिनको बोलना चाहिएआप सब जानते हैं हम प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बात कर रहे हैंजो बोल रहे हैं वे ऐसा बोल रहे है कि ना ही कुछ कहें तो बेहतरजब पूरा देश किसी बात का विरोध कर रहा हो तो देश को चलाने वाले का यह फर्ज है जनता से संवाद करेपरन्तु पता नहीं प्रधानमंत्री किस कार्य में व्यस्त हैं? ये तो हो नहीं सकता कि उनको किसी बात का पता ना होइसके बावजूद उनकी चुप्पी से जनता हैरान हैदेश में कुछ भी होता रहे ,मुखिया को कोई चिंता नहींउसका कोई कर्तव्य नहींउसकी कोई जवाबदेही जनता के प्रति नहींना जाने ये किस मिजाज के लोग हैं जो इस प्रकार से तमाम घटनाओं से अपने आप को दूर रखे हुए है

Sunday 5 June, 2011

बाबा योग जानते थे राजनीति नहीं

श्रीगंगानगरसरकार कुछ भी कर सकती है। जो करना चाहिए वह करे ना करे लेकिन वह जरूर कर देगी जिसकी कल्पना करना मुश्किल होता है। बाबा रामदेव की अगवानी के लिए केंद्र के चार वरिष्ठ मंत्री दंडवत करते हुए हवाई अड्डे पहुंचे। यह पहली बार हुआ। बाबा ने तो क्या सोचना था, किसी राजनीतिज्ञ के ख्याल में भी ऐसा नहीं आ सकता कि चार बड़े मंत्री किसी के स्वागत के लिए हवाई अड्डे पर आ सकते हैं। चलो इसे बाबा के चरणों में सरकार का बड़ापन मान लेते हैं। विनम्रता कह सकते हैं। शराफत का दर्जा दे दो तो भी कोई हर्ज नहीं। किन्तु कुछ घंटे के बाद ऐसा क्या हुआ कि सरकार का बड़ापन बोना हो गया। विनम्रता बर्बरता में बदल गई। शराफत के पीछे घटियापन नजर आने लगा। जिस सरकार के मंत्री दिन में किसी सज्जन पुरुष का सा व्यवहार कर रहे थे, रात को उनकी प्रवृति राक्षसी हो गई। रामलीला मैदान में रावण लीला होने लगी। सात्विक स्थान पर तामसिक मनोस्थिति के सरकारी लोग उधम मचाने लगे। सब कुछ तहस नहस कर दिया गया। जिस सरकार को जनता ने अपनी सुरक्षा के लिए चुना, उसी के हाथों उनको पिटना पड़ा। जिस बाबा के चरणों मे सरकार लौटनी खा रही थी उनको नारी के वस्त्र पहन कर भागना पड़ा। इससे अधिक किसी की ज़लालत और क्या हो सकती है। लोकतन्त्र में सरकार का इस प्रकार का बरताव अगर होता है तो फिर तानाशाही में तो पता नहीं क्या कुछ हो जाए। असल में बाबा योग सीखे और फिर सिखाते रहे। राजनीति के गुणा,भाग का योग उनको करना नहीं आया। राजनीति का आसान उनको आता नहीं था। यहीं सब गड़बड़ हो गया। उनको चार मंत्री आए तभी समझ जाना चाहिए था कि सब कुछ ठीक नहीं है। यह सब प्रकृति के विपरीत था। प्रकृति के विपरीत आंखों को,मन को सुकून देने वाला भी हो तो समझो कि कहीं न कहीं कुछ ना कुछ ठीक नहीं है। यह संभल जाने का संकेत होता है। बाबा नहीं समझे। गलत फहमी में रहे। वे ये भूल गए कि

जो लोग इस राष्ट्र को अपनी ही संपति समझते हैं वे अपने काले धन को राष्ट्रीय संपति घोषित करने की मांग क्यों मानेंगे? यह तो डबल घाटा हुआ। अरे भाई, इनके यहाँ तो केवल इंकमिंग ही है, आउट गोइंग वाला सिस्टम तो इनके जीवन में है ही नहीं । ये केवल और केवल लेना जानते हैं देना नहीं। जब इनसे जनता मांग करती है तो इनको ऐसे लगता है जैसे कोई इनकी संपति में से हिस्सा मांग रहा हो। फिर वही होता है जो रामलीला मैदान में हुआ। मजबूर कहते हैंपूरी मैं दिल की छह करूँ या दुनिया की परवाह करूँ, तू बता मैं क्या करूँ। हक के लिए लड़ मरूँ या बैठा आह! भरा करूँ, तू बता मैं क्या करूँ।