Tuesday 29 July, 2014


गुण्डे  खूब मजबूत हुए हैं
निर्बल शासन तंत्र,
बचने की कोई राह नहीं है
जप लो  कुछ भी मन्त्र.
अफसर सारे मौज में भैया
नहीं नगर का ज्ञान,
कोई लुटे चाहे कोई पिटे जी
उनको क्या श्रीमान.
कुछ भी कर लो इस नगर में
प्रशासन ना रोकेगा,
नंगे घूमो बीच सड़क में
तुझे कोई नहीं टोकेगा.
मालिक साम-दाम-दंड-भेद के
सबके खूब हैं ठाठ,
शराफत दर दर भटक रही है
कोई ना सुनता बात.
गंगा सिंह की पावन धरा को
जाने, किसकी नजर लगी है,
अमन चैन सब हवा हो गया
चारों और बदी है.