----चुटकी----
नौकर खाए
सूखी रोटियां
कुत्ता उड़ाए माल,
एक ही घर में
रहते दोनों,
कौन, किस से
करे सवाल।
हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Saturday 27 March, 2010
Friday 26 March, 2010
Sunday 14 March, 2010
मंदिर मंदिर धोक खाता रहा
बेवफा बता
बद दुआ
देता है वो,
और मैं
उसके लिए
मंदिर मंदिर
धोक खाता रहा।
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बिन बुलाये
वक्त बेवक्त
चला आता था,
अब तो
मुड़कर भी ना देखा
मैं आवाज लगाता रहा।
----
एक सुरूर था
दिलो दिमाग पर
अपना है वो,
देखा जो गैर के संग
तो नशा उतर गया।
बद दुआ
देता है वो,
और मैं
उसके लिए
मंदिर मंदिर
धोक खाता रहा।
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बिन बुलाये
वक्त बेवक्त
चला आता था,
अब तो
मुड़कर भी ना देखा
मैं आवाज लगाता रहा।
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एक सुरूर था
दिलो दिमाग पर
अपना है वो,
देखा जो गैर के संग
तो नशा उतर गया।
Friday 12 March, 2010
गुम हो गए दो नैन
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बात तो, कभी भी
कुछ भी ना थी,
मैं तो बस यूँ ही
मुस्कुराता रहा,
अपनों को खुश
रखने के लिए
अपने गम
छिपाता रहा।
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मेरे अन्दर झांकने वाले
गुम हो गए दो नैन,
कौन सुनेगा,किसको सुनाऊं
कैसे मिले अब चैन।
बात तो, कभी भी
कुछ भी ना थी,
मैं तो बस यूँ ही
मुस्कुराता रहा,
अपनों को खुश
रखने के लिए
अपने गम
छिपाता रहा।
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मेरे अन्दर झांकने वाले
गुम हो गए दो नैन,
कौन सुनेगा,किसको सुनाऊं
कैसे मिले अब चैन।
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