श्रीगंगानगर-दोस्त
की मैडम 24 घंटे में से कुछ घंटे ही बिना मेकअप के रहती है। सजी संवरी गुड़िया सी
लगभग हर समय। दोस्त घर में हो या ना हो, उसने तो बनी ठनी रहना
है। बीस सालों में आज तक दोस्त को ये नहीं पता कि वो अधिक सुंदर कैसे दिखती है।
मेक अप के या बिना मेक अप के। हर रोज एक सा वातावरण। कल भी वैसी ही थी। करवा चौथ
पर भी वैसी की वैसी। बस कपड़ों का रंग थाओड़ा बहुत बदला होगा। । कुछ तो डिफरेंट होना
ही चाहिए। तो जनाब! बीबी किसी की कैसी भी
हो पति को सजी संवरी ही अच्छी लगती है। आँखों को लुभाती है। मन को भाती है। ये किसी एक पति की चाहत नहीं सभी की है। करवा चौथ पर सभी पतियों
के चेहरे गुलाब के फूल की तरह खिले हुए थे। मन में उमंग और आँखों में शरारत थी। जैसे
उल्लास टपक रहा हो। साइकिल के कैरियर पर
सिंगरी बैठी पत्नी करवा चौथ पर पति को जरा भी भारी नहीं लगी। पत्नी को
इस रूप में देख वह आनंदित था। पिंक कलर की ड्रेस में,हाथ पांव में मेहँदी लगाए कई बच्चों की माँ के बावजूद पत्नी के साथ पैदल
जाते हुए भी पति की निगाह उसी की तरफ थी। यह उसका चाव था अपनी पत्नी के लिए। उम्र अर्थ हीन है। करवा चौथ पर बाइक पर बैठी चारमिंग पत्नी का
कमर,कंधे और पैर पर रखा हाथ उसे बोझ लगने की बजाए सुकून
प्रदान कर रहा था। महंगी- सस्ती गाड़ी में मेकअप से लक दक ओवरवेट पत्नी को घुमाते हुए पति को ऐसा महसूस हो
रहा था जैसे शादी अभी अभी हुई हो। ये भाव है सभी पतियों के। सभी पति अपनी पत्नी को
इसी प्रकर डॉल बनी हुई देखना पसंद करते हैं। बीबियों का यही रूप पतियों को
प्रफुल्लित करता है। करवा चौथ पर तो सजना ही था सजना के लिए। वरना हर रोज वही नून
तेल,रसोई,बच्चे साथ में चिक चिक। बेशक करवा चौथ पर पति
की जेब ढीली हुई। इसके बावजूद सभी के चेहरों पर रंगत थी। इसकी वजह थी पत्नी का
सजना संवरना। रोज तो ऐसा मुमकिन नहीं। इसलिए पत्नी का इस दिन का रूप आँखों
में बसा दूसरी करवा चौथ का इंतजार करता है पति। ऐसा नहीं कि इस बीच पत्नी पूरा साल सूगली रहती है।
सजती है कहीं जाना हो तो। संवरती भी है पीहर जाने के लिए और दूसरे वार त्योहार पर ।
परंतु जो करवा चौथ पर सजना होता है उससे सजना ऊपर से चाहे ना खुश हो अंदर खूब खुशी
महसूस करता है। अब जो रोज ही सजी रहे वह अपने अपने पति को कैसी लगती है यह दोस्त से पूछना पड़ेगा। करवा चौथ के उपलक्ष में
दो लाइन पढ़ो....पहले मुझसे नजर उतरवाना,चांद देखने बाद में
जाना।
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