हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Saturday 12 February, 2011
जीवन में पतझड़
---- चुटकी---
सुना है हर पतझड़ के बाद आता है बसंत, पता नहीं मेरे जीवन के पतझड़ का कब होगा अंत।
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