हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Tuesday, 1 February 2011
हेलमेट
श्रीगंगानगर--पुलिस जी जयहिंद!......आज आपको जयहिंद का जवाब देने का समय नहीं हैं। हो भी कैसे, सब के सब तो जनता को हेलमेट पहनाने में लगे हैं। आपने अपनी पूरी ताकत इसी काम में लगा रखी है। लगा क्या रखी है झोंक रखी है। क्योंकि आपकी नजर में शहर में होने वाले सभी अपराधों से मुक्ति पाने का हेलमेट ही एक मात्र उपाए हैं। "हेलमेट पहनाओ,अपराध घटाओ ।" यह नया नारा है। राजस्थान की पुलिस अपनी प्राथमिकता तय करती है। नगर के मिजाज के अनुसार वहां के अधिकारियों के सामने कुछ अलग प्रकार की प्राथमिकता भी हो सकती है। पुलिस जी, आपकी एक मात्र प्राथमिकता है सबको हेलमेट पहनाना। नगर में चोरी,चैन स्नेचिंग, लड़कियों से छेड़छाड़, आवारा किस्म के लोगों की सड़कों पर मनमानी ,रात को इधर-उधर जाना पड़जाये तो लुटने का भय । यह सब कुछ उस दिन गधे के सर से सींग की तरह गायब हो जायेगा जब सब हेलमेट में नजर आयेंगे। साइकल पर आवाजाही करने वाले हो या पैदल चलने वाला सबको हेलमेट जरुरी करना होगा। पता नहीं कब इनमे से कोई सड़क पर दुर्घटना का शिकार हो जाये। सबकी सुरक्षा तो जरुरी है। वैसे पुलिस जी आपको डरते डरते बता दूँ कि आजतक शहर में एक भी दुर्घटना ऐसी नहीं हुई जो यह कहती हो कि हेलमेट नहीं था इसलिए मर गया। एक बात और , श्री पुलिस जी यहाँ समस्या हेलमेट की नहीं है, समस्या है अस्त व्यस्त ट्रैफिक। ट्रैफिक सिस्टम सही नहीं है तो फिर कितने भी हेलमेट पहना दो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। पुलिस जी, आपने जितनी ताकत हेलमेट पहनाने में लगाई है उतनी ट्रैफिक सुधार में लगाते तो सब कुछ नहीं तो बहुत कुछ तो ठीक हो जाता। पुलिस जी, आप विचार करके देखो क्या यह शहर इतना बड़ा हो गया कि यहाँ हेलमेट के बिना काम नहीं चल सकता! ले दे के ढाई सड़क हैं। राजमार्ग १५, रविन्द्र पथ ,हनुमानगढ़ रोड बस। हेलमेट के लिए कानून के साथ व्यवहारिकता भी अपने साथ रखो पुलिस जी। शहर से बाहर जाने वाले मार्गों पर नाके लगाओ। वहां दो पहिया वाहन चालकों के ही क्यों उसके साथ बैठने वाले को भी हेलमेट पहनाओ। पुलिस जी, शहर में कोई नेता,प्रभावशाली सामाजिक आदमी, आप तक यह बात कहने वाला कोई व्यापारी नेता नहीं, इसलिए मुझे ही यह लिखना पड़ा। ये बात ऐसे ही नहीं कह रहा। पुलिस जी आपको बताऊँ , मैंने जनप्रतिनिधि,नेता,व्यापारी नेता, बड़े सेठ ,सामाजिक आदमी, सभी से बात की। मगर लगता है किसी की हिम्मत आपके समक्ष शहर की सच्चाई रखने की नहीं हुई। कोई क्यों आपको नाराज करने लगा। सौ काम पड़ते है पुलिस जी आपसे इनको। इसलिए सब देख रहे हैं आपका हेलमेट पहनाने का अभियान। जनता के फोन इनके पास जायेंगे। जनता पर अहसान जताने के लिए पुलिस जी ये आपको फोन करेंगे। आपके पास इन पर अहसान जताने का मौका होगा। इसी से सामाजिक सम्बन्ध ताकतवर बनते हैं। तो पुलिस जी ये तय रहा कि शहर में चोरी होती है तो होती रहे। वाहनों की चोरी की रिपोर्ट दर्ज करें या ना करे। कोई सरे राह किसी की चैन छीनता है तो छीने। लड़कियों को छेड़ता है तो छेड़े । सड़कों पर मर्जी से वाहन पार्क करके सड़क रोकता है तो रोके, आपको इनकी तरफ कोई ध्यान नहीं देना। पुलिस जी अब आपका एक ही लक्ष्य है कि श्रीगंगानगर में सड़क पर आवाजाही करने वाला कोई भी वह सर जो कार में ना हो बिना हेलमेट के नहीं रहना चाहिए। गुड लक। किसी शायर ने कहा है ...अब तो यकीं मानिए जीने को भी जी नहीं,पर जहर भी तो मुफ्त कब आवे है साहब जी। राजू ग्रोवर का एस एम एस-डियर गोड , जो इस एस एम एस को पढ़ रहा हो उसे दुनिया की हर ख़ुशी देना। क्योंकि कुछ लोग हमेशा मुस्कुराते हुए ही अच्छे लगते हैं।
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