श्रीगंगानगर--कलेक्टर मैडम की जनसुनवाई। भीड़ इतनी की मैडम दिखाई नहीं दे रही। उनके कहे शब्द कान में पड़ेंगे यह सोचना बेकार था। इसके लिए इंतजार करना पड़ा। जिनकी सुनवाई हुई वे चले गए। अब मैडम दिख भी रहीं थी और उनके कहे शब्द कानों तक पहुँच भी रहे थे। नगर का एक प्रतिष्ठित आदमी आवेदन लेकर मैडम के समक्ष आया। उसने एक सरकारी कर्मचारी की शिकायत की-मैडम वह कभी ऑफिस में नहीं आता। उसके अधिकारी को भी बताया मगर कुछ नहीं हुआ। मैडम बोली, आपको उस से क्या तकलीफ है? मुझ से उसका कान मरोड़ कर अपना काम निकलवाना चाहते हो। खैर, मैडम ने आवेदन रख लिया। केसरीसिंहपुर से दो तीन लोग थे। एक बोला,मैडम गैस एजेंसी वाले ने इसके साथ मारपीट की। एफआईआर करवाई क्या? मैडम ने पूछा। मैडम कहने लगी, सरकारी एजेंसी तो है नहीं। वैसे भी गैस एजेंसी वाले जनता से बहुत अधिक दुखी हैं। किसी दिन छोड़ कर चले जायेंगे। मैडम ने डीएसओ से पता करवाने का आश्वासन देकर आवेदन ले लिया। एक पुराना कांग्रेसी किन्ही लोगों के साथ आया। वह उनकी पीड़ा बताने लगा तो मैडम ने उस से परिचय पूछ लिया और फिर सीधे पीड़ित से मुखातिब हो गई। कांग्रेसी ने बताया कि हर कलेक्टर कार्यवाही की कहता है। हुआ आज तक कुछ नहीं। मैडम ने टिप्पणी के रूप में कुछ लाइन कही । हमें [ पी आर ओ भी वहीँ खड़े थे ] हंसी आई। मेरी नजर में वह यहाँ लिखना गरिमा के अनुकूल नहीं। एक बुजुर्ग कांग्रेसी को देख मैडम बोली, आप हर जनसुनवाई के समय होते हो। आखिर आप हो कौन? बुजुर्ग ने अपने बारे में बताया और अतिक्रमण तोड़ने का आग्रह के साथ कहा, नाजायज कब्जे तोडना जायज नहीं। मैम ने कहा, अतिक्रमण तो नाजायज ही होते हैं। इस प्रकार से लगभग पचास व्यक्तियों की दुःख,तकलीफ,पीड़ा से कलेक्टर मैडम रूबरू हुईं। ये तो थी कलेक्टर की मक्खनबाजी । अब असली बात।
जिला कलेक्टर। अर्थात ,जिले का मालिक। सरकार का जिले में सबसे बड़ा प्रतिनिधि। जिस से मंत्री तक को काम पड़ता है। उसके पास कोई कब जायेगा? तभी ना जब किसी को लगेगा कि अब तो बस कलेक्टर पर ही उम्मीद है। आने वाले सच्चे भी होंगे,झूठे भी। इसका पता लगा उचित कार्यवाही करना कलेक्टर का काम है। एक तरफ तो कलेक्टर सरकारी दफ्तरों में छापे मार कर यह निरीक्षण करते हैं कि कितने कर्मचारी उपस्थित हैं। दूसरी तरफ कलेक्टर उस शहरी को निरुत्साहित कर रहीं हैं जो लिखित में उनको बता रहा है कि फलां कर्मचारी कभी आता ही नहीं। डीएसओ गैस उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए नए नए फंडे इस्तेमाल करते हैं और कलेक्टर मैडम जनसुनवाई में ये कहती हैं कि गैस एजेंसी वाले लोगों से दुखी हैं। कलेक्टर मैडम गलत हैं । सीधे सीधे ये कहने की हिम्मत तो नहीं हैं। लेकिन अगर वे अपने पास फरियाद लेकर आये किसी इन्सान के सामने ही दूसरे का पक्ष लेंगी तो फिर उनके पास कोई जायेगा ही क्यों? वे जाँच करवाएं। पता लगवाएं। अगर शिकायत करने वाला गलत है तो उसको चेतावनी दें। उसके विरुद्ध कार्यवाही करें। उसको सबक सिखाएं ताकि वह आइन्दा किसी की झूठी शिकायत कर कलेक्टर जैसे अधिकारी का समय ना ख़राब करे। शिकायत करते ही अपना फैसला सुना देना तो उसके साथ अन्याय है जो चल कर आपके दरबार में आया है कलेक्टर मैडम। रामसनेहीलाल शर्मा"यायावार" का शेर है--हमने शीशे के घरोंदे पर अभी चन्दन मला है ,और उनके हाथ में पत्थर नहीं पूरी शिला है।
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