हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Saturday, 28 March 2009
वरुण गाँधी की टीआरपी
वरुण गाँधी की टीआरपी! है ना आश्चर्य की बात। जी बिल्कुल है। अभी तक तो न्यूज़ चैनल की टीआरपी सुनी थी। गत कई दिनों से वरुण गाँधी मीडिया की, खासकर टीवी न्यूज़ चैनल, सुर्खियाँ बने हुए थे। न्यूज़ चैनल में वरुण को अपनी ताई और देश की सबसे ताक़तवर महिला सोनिया गाँधी से भी अधिक समय मिला होगा। इस से अधिक उपलब्धि किसी युवा नेता के लिए और क्या हो सकती है। आज तो पूरा दिन वरुण गाँधी के नाम ही रहा। इतनी पब्लिसिटी तो कोई जानदार,शानदार स्पीच देकर भी नही मिलती। यह सिलसिला अभी कई दिन तक चलेगा। बाकी नेता माथे पर हाथ रखकर अपने आप को कोस रहें होंगे कि हाय मैंने ऐसा वैसा क्यों नहीं बोला। अब देखना चुनाव में नरेंद्र मोदी की तरह वरुण गाँधी की भी डिमांड बढ़ जायेगी। हर बीजेपी उम्मीदवार अपने यहाँ वरुण गाँधी को लाना चाहेगा। एक न्यूज़ चैनल का संवाददाता ख़बर में वरुण गाँधी को बीजेपी का प्यादा बता रहा था। कई बार प्यादा भी अपनी चाल से खेल का पासा पलट देता है। जब बात लडाई की हो तो हर वह इन्सान महत्वपूर्ण होता है जो उसमे सीधे सीधे भाग ले रहा होता है। किस के हाथ कब कोई दाव लग जाए क्या कहा जा सकता है। एक दाव भी सही पड़ गया तो समझो बन गई बात। चुनाव में पहला और आखिरी मकसद चुनाव जीतना होता है।वरुण गाँधी ने क्या कहा? उसको क्या कहना चाहिए था और क्या नहीं? इस बारे में हमने कुछ नहीं कहना। लेकिन इसमे कोई दो राय नहीं हो सकती कि वरुण गाँधी फिलहाल टीआरपी में अन्य तमाम लीडर्स से आगे हैं।
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