हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Tuesday, 10 March 2009
आया भरतार लगाया ना रंग
लगा गुलाल गया मलाल, मन में उमड़ा प्रीत का ज्वार दोनों मिले बाहें पसार। ---- आया भरतार लगाया ना रंग प्यासी गौरी लग गई अंग।
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