हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Thursday 12 March, 2009
बेकसूर हूँ फ़िर भी सजा पाई है
हे खुदा कैसी तेरी खुदाई है बेकसूर हूँ फ़िर भी सजा पाई है, बेवफाई का इल्जाम नहीं कोई चारों ओर फ़िर क्यों रुसवाई है। जो चाहा वो मिला नहीं भला करूँ तो कोई सिला नहीं ये ज़िन्दगी है या ज़िन्दगी के रूप में सजा पाई है।
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