Wednesday, 22 October 2008

तुने तो अब आना नही

दो दो सावन बीत गए
मिला ना मन को चैन
बादल तो बरसे नहीं
बरसत है दो नैन,
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भोला मन अब समझ गया
तेरे चालाक इरादे
तू ने तो अब आना नहीं
झूठे हैं तेरे वादे,
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तिल तिल कर मैं जल रही
तू लिख ले मेरे बैन,
चिता को आग लगा जाना
बस मिल जाएगा चैन ।
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तेरे दर्शन की आस में
जिन्दा है ये लाश,
इस से ज्यादा क्या कहूँ
समझ ले मेरी बात।
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6 comments:

अभिषेक मिश्र said...

भोला मन अब समझ गया
तेरे चालाक इरादे
तू ने तो अब आना नहीं
झूठे हैं तेरे वादे,
Acha laga aapka blog Narad ji. Kabhi idhar se gujarein to hamare blog par bhi padharein.

Girish Kumar Billore said...

विधुलता जी
शिखर वार्ता याद है आपको आप जिसमें फीचर सम्पादक थीं
मैं जबलपुर से करेस्पोङेन्ट था याद होगा शायद आपका
स्वागत है

श्यामल सुमन said...

पद दोहे के हैं अगर इसमे करें सुधार।
दर्शन भी मिल जायेंगे और बढ़ेगा प्यार।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

शोभा said...

वाह बहुत सुन्दर लिखा है। आपका स्वागत है।

संगीता पुरी said...

नए चिट्ठे के साथ आपका हिन्दी ब्लाग जगत में स्वागत है.... आशा है , आप अपनी प्रतिभा से इसे समृद्ध करेंगे ...हमारी शुभकामनाएं आपके साथ है।

Amit K Sagar said...

बेहद सरल शब्दों में उम्दा रचना. वधाई. आभार.