छुई मुई से भी नाजुक
मुझे देखकर तुम यूँ
अपने आप में सिमट जाती हो
जैसे अंगुली को देख
छुई मुई का पौधा,
ये ठीक है कि तुम
उस पौधे की तरह
अधिक शर्मीली ,संवेदनशील
और ज्यादा नाजुक हो,
लेकिन मुझे तुमसे अच्छा
वह छुई मुई का
पौधा लगता है,
क्योंकि वह कुछ पल बाद
अंगडाई लेकर
अपने हुस्न का जलवा
दिखा देता है
मगर तुम
अपने आप को
अपने ही अन्दर
समेटे हुए
बैठी रहती हो
मेरे जाने तलक।
---गोविन्द गोयल
No comments:
Post a Comment