Saturday 15 May, 2010

कुछ पाने के लिए सब कुछ खोया


ठीक है कुछ पाने के लिए
कुछ ना कुछ
खोना ही पड़ता है,
मगर ये नहीं जानता था कि
मैं, कुछ पाने के लिए
इतना कुछ खो दूंगा कि
मेरे पास कुछ और पाने के लिए
कुछ भी तो नहीं बचेगा,
और मैं थोडा सा कुछ
पाने के लिए
अपना सब कुछ खोकर
उनके चेहरों को पढता हुआ
जो मेरे पास कुछ पाने की
आस लिए आये हैं,
लेकिन मैं उनको कुछ देने की बजाए
अपनी शर्मसार पलकों को झुका
उनके सामने से
एक ओर चला जाता हूँ
किसी और से
कुछ पाने के लिए।

2 comments:

नीरज मुसाफ़िर said...

कुछ पाना, कुछ खोना; कुछ पाना कुछ खोना।
ना पाया, ना खोया।

स्वाति said...

bahut ghoodh bat kah di aapne ..
achha likhte hai , badhai