हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Wednesday 7 October, 2009
श्रृंगार में उलझी रही
---- चुटकी----
करवा चौथ का रखा व्रत, कई सौ रूपये कर दिए खर्च, श्रृंगार में उलझी रही, घर से भूखा चला गया मर्द।
1 comment:
सही व्यंग्य है ।
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