Sunday 23 November, 2008

यूँ अचानक वो याद आए

चौंक चौंक उठता है आलम मेरी तन्हाई का
यूँ अचानक वो हर बात पे याद आतें हैं।
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दस्ताने इश्क में कुछ भी हकीकत हो तो फ़िर
एक अफ़साने के बन जाते हैं अफ़साने बहुत।
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आज दुनिया में वो ख़ुद अफसाना बन के रह गये
कल सुना करते थे जो दुनिया के अफ़साने बहुत।
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पीते पीते जब भी आया तेरी आंखों का ख्याल
मैंने अपने हाथों से तोडे हैं पैमाने बहुत।
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नहीं मालूम अब क्या चीज आंखों में रही बाकी
नजर तो उनके हुस्न पे जाकर जम गई अपनी।
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उन आंखों में भी अश्क भर्रा गए हैं
कभी हम जो भूले से याद आ गए हैं।
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खिजां अब नहीं आ सकेगी चमन में
बहारों से कह दो की हम आ गए हैं।

----सब कुछ संकलित है

2 comments:

समयचक्र said...

bahut khoob . dhnayawad

KK Yadav said...

दस्ताने इश्क में कुछ भी हकीकत हो तो फ़िर
एक अफ़साने के बन जाते हैं अफ़साने बहुत।
...............बड़े करीने से बात कही है, मुबारकवाद स्वीकारें .