Friday, 7 November 2008

गम-ऐ-जिन्दगी के मारे हैं

गम ऐ जिंदगी के मारे हैं
हर बाजी जीत के हारें हैं
ये जो मेरी झोली में पत्थर हैं
सब चाहने वालों ने मारें हैं।
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महक दोस्ती की इश्क से कम नही होती
इश्क पर भी दुनिया खत्म नहीं होती
अगर साथ हो जिंदगी में अच्छे दोस्तों का
तो जिन्दगी जन्नत से कम नही होती।
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भुला सकते तो कब का भुला दिया होता
मिटा सकते तो कब का मिटा दिया होता
तुम्हें क्या पता कितना दर्द देतीं हैं यादें
बता सकता तो बता दिया होता।

1 comment:

Smart Indian said...

ये जो मेरी झोली में पत्थर हैं
सब चाहने वालों ने मारें हैं।
बहुत खूब!