Tuesday 4 November, 2008

ये कलाम किसका था

वफ़ा करेंगें, निबाहेंगें,बात मानेगें,
तुम्हे कुछ याद है ये कलाम किसका था।
---
शख्स वो मामूली सा था
दुनिया जेब में थी हाथ में पैसा न था।
---
मंजिल मिले न मिले इसका गम नहीं
मंजिल की जुस्तजू में मेरा कारवां तो है।
----
रस्ते को भी दोष दे आँखे भी कर लाल
चप्पल में जो कील है पहले उसे निकाल।
----
तुम जो सोचो वह तुम जानो
हम तो अपनी कहते हैं
देर न करना घर जाने में
वरना घर खो जायेंगें।

2 comments:

अनुपम अग्रवाल said...

बेवफा भी करोगे तो भी बात मानेंगे
कभी तो याद करोगे ये सलाम किसका था

बाल भवन जबलपुर said...

wah sar ji chhaa gae