मेरे मन का मौन
अब सुनेगा कौन,
हर चेहरा ताकता है
मन में कौन झांकता है,
तू ही कोई सपना बुन
मौन हो मेरा मौन सुन,
तुझे मीत बताता
है
तेरे गीत गाता है,
अपने मन को झिंझोड़
उसे मेरे मन से जोड़,
मौन का मौन से
अब होने दे संवाद
इस वाचाल जमाने को
कुछ तो रहे याद।
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