श्रीगंगानगर-बरसात तो काफी दूर है लेकिन इधर उधर बरसाती मेंढकों की टर्र-टर्र सुनाई देने लगी है। शायद इनको पता है कि अब वह मौसम शुरू होने ही वाला है। इसीलिए वे अपनी उपस्थिति साबित करने के लिए टर्र टर्र करते हैं। टर्र टर्र करना स्वभाव है मेंढकों का। आम दिनों में तो इक्का-दुक्का मेंढक ही टर्राते दिखते हैं। बरसात में इनकी संख्या बढ़ जाती है। जगह जगह मेंढक। कोई बिना रंग का कोई एक रंग का। किसी के दो रंग तो किसी ने तीन रंग लगा रखे हैं। इनको इस प्रकार से भाग दौड़ करनी ही पड़ती है,आगे निकलने के लिए। एक कौने से दूसरे कौन तक भागमभाग। किसी ने देखा तो ठीक ना देखा तो दिल में थोड़ी कसमसाहट। फिर भी हिम्मत नहीं हारते। बस लगे हैं टर्राने। एक दूसरे से तेज आवाज में टर्र टर्र करने की हौड़ है इनमें। अनेक ने तो पिछली बार जब बरसात आई थी तब भी टर्र टर्र की थी। लेकिन किसी ने कान ही नहीं धरे। बेचारे टर्रा टर्रू के थक गए तो आराम के लिए इधर उधर दुबक गए। आराम करने के बाद अब फिर शुरू हो गई उनकी वही पुरानी टर्र टर्र। सुनी सुनाई टर्र टर्र को सुन मज़ाक भी बनते हैं...लेकिन ऐसा तो होता रहता है। अब बरसात के मौसम में टर्र टर्र तो करनी ही पड़ेगी। क्या पता कोई सुन ही ले। बेशक ये सभी मेंढक हैं। लेकिन ये होते अलग अलग रंग,रूप और स्वभाव के हैं। एक दूसरे को देख कर प्रेम से टर्र टर्र जरूर करते हैं। किन्तु ये मेंढक इतने समझदार हैं कि दूसरे की मन की बात पढ़ मन ही मन कुछ अलग प्रकार की टर्र टर्र करते हैं। इनको बरसाती मेंढक भी कहा और सुना जाता है। क्योंकि ये बरसात के आस पास ही टर्र टर्र करते हैं। फिर भी ये बुरा नहीं मानते। इसी बहाने इन मेंढकों का जिक्र तो हो ही जाता है। इन दिनों इस प्रकार के मेंढकों की संख्या बढ़ रही है। सब एक दूसरे की टर्र टर्र सुन उसकी ताकत का आंकलन कर रहे हैं। कौन सा मेंढक किसके साथ जाता है। कौन कौन किसकी टर्र टर्र में अपनी टर्र टर्र मिलाता है। किसकी टर्र टर्र सुन किस कौने से अधिक टर्र टर्र की आवाज आती है। कितने किसके साथ आकर उसकी टर्र टर्र को दमदार बताते हैं। यही चल रहा है चारों तरफ। जैसे जैस बरसात का मौसम निकट आता जा रहा है वैसे वैसे मेंढकों का काम बढ़ रहा है। बरसात से पहले टर्र टर्र करने वाले ये मेंढक किसी ना किसी प्रकार से अपने आपको स्थापित करने की कोशिश में हैं। जैसे ही बरसात होगी कइयों की टर्र टर्र किसी और की टर्र टर्र में मिल जाएगी। बरसात समाप्त तो फिर आराम....दूसरी किसी बरसात का इंतजार। जो रहेंगे उनकी टर्र टर्र सुननी पड़ेगी ही,अच्छी लगे चाहे बुरी। बस बरसात का इंतजार है।
हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Thursday, 14 March 2013
क्षेत्र में बरसाती मेंढकों की टर्र टर्र
श्रीगंगानगर-बरसात तो काफी दूर है लेकिन इधर उधर बरसाती मेंढकों की टर्र-टर्र सुनाई देने लगी है। शायद इनको पता है कि अब वह मौसम शुरू होने ही वाला है। इसीलिए वे अपनी उपस्थिति साबित करने के लिए टर्र टर्र करते हैं। टर्र टर्र करना स्वभाव है मेंढकों का। आम दिनों में तो इक्का-दुक्का मेंढक ही टर्राते दिखते हैं। बरसात में इनकी संख्या बढ़ जाती है। जगह जगह मेंढक। कोई बिना रंग का कोई एक रंग का। किसी के दो रंग तो किसी ने तीन रंग लगा रखे हैं। इनको इस प्रकार से भाग दौड़ करनी ही पड़ती है,आगे निकलने के लिए। एक कौने से दूसरे कौन तक भागमभाग। किसी ने देखा तो ठीक ना देखा तो दिल में थोड़ी कसमसाहट। फिर भी हिम्मत नहीं हारते। बस लगे हैं टर्राने। एक दूसरे से तेज आवाज में टर्र टर्र करने की हौड़ है इनमें। अनेक ने तो पिछली बार जब बरसात आई थी तब भी टर्र टर्र की थी। लेकिन किसी ने कान ही नहीं धरे। बेचारे टर्रा टर्रू के थक गए तो आराम के लिए इधर उधर दुबक गए। आराम करने के बाद अब फिर शुरू हो गई उनकी वही पुरानी टर्र टर्र। सुनी सुनाई टर्र टर्र को सुन मज़ाक भी बनते हैं...लेकिन ऐसा तो होता रहता है। अब बरसात के मौसम में टर्र टर्र तो करनी ही पड़ेगी। क्या पता कोई सुन ही ले। बेशक ये सभी मेंढक हैं। लेकिन ये होते अलग अलग रंग,रूप और स्वभाव के हैं। एक दूसरे को देख कर प्रेम से टर्र टर्र जरूर करते हैं। किन्तु ये मेंढक इतने समझदार हैं कि दूसरे की मन की बात पढ़ मन ही मन कुछ अलग प्रकार की टर्र टर्र करते हैं। इनको बरसाती मेंढक भी कहा और सुना जाता है। क्योंकि ये बरसात के आस पास ही टर्र टर्र करते हैं। फिर भी ये बुरा नहीं मानते। इसी बहाने इन मेंढकों का जिक्र तो हो ही जाता है। इन दिनों इस प्रकार के मेंढकों की संख्या बढ़ रही है। सब एक दूसरे की टर्र टर्र सुन उसकी ताकत का आंकलन कर रहे हैं। कौन सा मेंढक किसके साथ जाता है। कौन कौन किसकी टर्र टर्र में अपनी टर्र टर्र मिलाता है। किसकी टर्र टर्र सुन किस कौने से अधिक टर्र टर्र की आवाज आती है। कितने किसके साथ आकर उसकी टर्र टर्र को दमदार बताते हैं। यही चल रहा है चारों तरफ। जैसे जैस बरसात का मौसम निकट आता जा रहा है वैसे वैसे मेंढकों का काम बढ़ रहा है। बरसात से पहले टर्र टर्र करने वाले ये मेंढक किसी ना किसी प्रकार से अपने आपको स्थापित करने की कोशिश में हैं। जैसे ही बरसात होगी कइयों की टर्र टर्र किसी और की टर्र टर्र में मिल जाएगी। बरसात समाप्त तो फिर आराम....दूसरी किसी बरसात का इंतजार। जो रहेंगे उनकी टर्र टर्र सुननी पड़ेगी ही,अच्छी लगे चाहे बुरी। बस बरसात का इंतजार है।
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