हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Sunday, 27 March 2011
खेल को जंग में मत बदलो
श्रीगंगानगर--राजस्थान के पूर्व मंत्री गुरजंट सिंह बराड़ और वर्तमान मंत्री गुरमीत सिंह कुनर बेशक बहुत अधिक नहीं पढ़े मगर वे बहुत अधिक कढ़े हुए जरुर है। उन्हें अनुभव है, जीवन का। समाज का। सम्बन्धों का। राजनीति का। अमीर होने का मतलब भी वे अच्छी तरह जानते हैं तो गरीब के दर्द की जानकारी,अहसास भी उनको है। तभी तो लाखों रूपये इन्वेस्ट करके शुरू किये गए स्पैंगल पब्लिक स्कूल के उद्घाटन अवसर पर इन्होने वह दर्द बयान किया। गुरजंट सिंह बराड़ ने कहा कि स्कूल में कम से कम पांच प्रतिशत बच्चे कमजोर वर्ग से होने चाहिए। ऐसे बच्चों की शिक्षा का इंतजाम स्कूल करे। उन्होंने शिक्षा को व्यापार ना बनाये जाने की बात कही। मंत्री गुरमीत सिंह कुनर ने स्कूल में कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों की संख्या पच्चीस प्रतिशत होनी ही चाहिए। ताकि गरीब बच्चों को उच्च वर्ग के बच्चों के साथ पढने का अवसर मिल सके। श्री कुनर ने तो यहाँ तक कह दिया कि भविष्य में उनको यहाँ आने का मौका मिला तो वे देखेंगे कि ऐसा हुआ या नहीं। मंच संचालक शिव कटारिया ने प्रबंध समिति की और से श्री कुनर को भरोसा दिलाया कि उनकी बात का पालन होगा। सभी को यह देखना है कि भविष्य में क्या होगा। इस स्कूल में और उस खेल के मैदान में। उस मैदान में जहाँ खेल को दो देशों की जंग में बदलने का खेल हो रहा है। जी हाँ बात भारत-पाक में ,ओह!सॉरी, भारत-पाक की क्रिकेट टीमों की जो दो दिन बाद सेमीफ़ाइनल खेलेंगी। वैसे तो यह सेमी फ़ाइनल है लेकिन भारतियों और पाकिस्तानियों के लिए तो यही फ़ाइनल है। यह समझ से परे है कि देश प्रेम,राष्ट्र भक्ति इन टीमों के मैच के समय ही क्यों उबाल खाती है। खेल आज चाहे बहुत बड़ा कारोबार बन गया हो, शिक्षा की तरह किन्तु असल में तो यह सदभाव,भाईचारा,प्रेम,प्यार ,आपसी समझ के साथ रिश्तों में गर्माहट बनाये रखने का पुराना तरीका है। मनोरंजन तो है ही। जंग एकदम इसके विपरीत है। जंग में सदभाव,भाईचारा,प्रेम प्यार सबकुछ ख़तम हो जाता है। वहां मनोरंजन नहीं मौत से आँखे चार होती है। खेल में रोमांच होता है। लेकिन इन दोनों टीमों का मैच तनाव लेकर आता है। खिलाडियों से लेकर दर्शकों तक। स्टेडियम में खिलाडी सैनिक दिखते हैं। किसी को चाहे भारत की धरती से रत्ती भर भी प्यार,अपनापन ना हो,वह भी पाक टीम से अपनी टीम की हार को सहन नहीं करता। बंगलादेश, कीनिया,कनाडा किसी भी पिद्दी से पिद्दी टीम से पिट जाओ बर्दाश्त कर लेंगे। पाक से हार हजम नहीं होती। वह बल्लेबाज हमको अपनों से अधिक प्यारा है जो पाक गेंदबाज को पीटता है। गेंदबाज वह पसंद जो पाक खिलाडी को आउट करे। पाक टीम के सामने कमजोर कड़ी साबित होने वाला कोई भी खिलाडी हमारी नजरों को नहीं भाता चाहे वह क्रिकेट का भगवान सचिन ही क्यों ना हो। निसंदेह जिन देशों में क्रिकेट खेली जाती है वहां क्रिकेट प्रेमियों में भारत -पाक टीमों में होने वाले मैच के प्रति उत्सुकता रहती है। अरबों का व्यापार होता है। इसके बावजूद यह खेल है। इसको जंग में नहीं बदलना चाहिए। जंग नफरत पैदा करती है। खेल नफरत को मिटा कर प्यार जगाता है। कम शब्दों में खेल खेल है और जंग केवल जंग। खेल खेल में जंग का होना किसी के लिए किसी भी हालत में ठीक नहीं।
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1 comment:
poorn roop se sahmat aap ke vicharo se.Barad jee ke vicharo ne prabhavit kiya.....Rajasthanee hone ke nate sukhad anubhav raha,......
vishvas hai school managment khara utrega ise kasoutee par......
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