हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Wednesday, 2 March 2011
रसोई,महंगाई, और कमाई
डिब्बी से डिब्बे और कनस्तर से पीपे तक ,रसोई के कौने कौने में फ़ैल गई महंगाई, जिन्दगी की तरह पल पल सिकुड़ रही है आम आदमी की कमाई।
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