हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Saturday, 3 April 2010
---- चुटकी----
शोएब आयशा सानिया का त्रिकोण, रिश्ते खेल हो गए जज्बात हो गए गौण।
3 comments:
कम शब्दों मे , सटीक बात । इसे कहते हैं बचत ।
abhee sabke kaan pake nahee hai jee...............
maine bhee NIKAHNAMA isee sandarbh me likhee thee 2,3 din pahile .
are ye choot gayee thee .mazaa aagaya pad kar.
bahut acchee abhivykti.
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