Wednesday, 7 April 2010

जो खबर नहीं है वह खबर है

जाने माने टीवी पत्रकार और एंकर रवीश कुमार ने आज "राजस्थान पत्रिका" शोएब-सानिया की शादी के बारेमें मीडिया में आ रही खबरों पर लेख लिखा है,"एक शादी पर हो हल्ला "। ये बड़े है इसलिए जो लिखा ठीक ही होगा। जनाब यहाँ कुछ हो तो रहा है, तब ख़बरें आ रहीं हैं। मीडिया में तो कुछ ना हो तो भी खबर बन जाती है। जैसे हमारे यहाँ बनी। हमने पूरे मीडिया में "लाशों के कारोबार" का कारोबार करवा दिया। किसी ने कहा कि पुलिस ने लाश बेचीं है। बस उसके बाद हमने वही दिखाया जो उस आदमी ने बताया। अपना दिमाग हम नहीं लगाते, जो दूसरा कहता है वही दिखाते हैं। इस बात को कई दिन हो गए, आज तक तो ऐसी कोई लाश मिली नहीं जिसको बेचा गया हो।जब सेल की हुई लाश का पता लगाने में हम कामयाब नहीं हुए तो हमने हैडिंग बदल दिए। अब मीडिया में लाशों के कारोबार की बजाये लाश देने में अनियमितता के हैडिंग लगाने लगे। यह खबर नहीं थी , लेकिन बने गई। जो पूरे मीडिया के सर चढ़ कर बोली। आज के दौर में जो आदमी खबर बनाने की कला जानता है वह सबसे बड़ा पत्रकार है। खबर है नहीं, मगर बनानी है। श्रीगंगानगर ने यही किया। श्रीगंगानगर में एक परिवार ने मेडिकल कॉलेज को अपने बुजुर्ग की डैड बोडी दान दी। यह खबर किसी को नहीं चाहिए। भारत पाक सीमा पर सुरक्षा बालों ने रेगिस्तान को गुले गुलजार बना रखा है। जिसको देखने हर रोज बड़ी संख्या में लोग आते हैं। सीमा सुरक्षा बल के जवान अधिकारी उनको बोर्डर दिखाते हैं, समझाते हैं। मगर ये बात खबर नहीं है। बस आज के दौर में तो ऐसा हो गया कि जो खबर है वह खबर नहीं है, जो खबर नहीं है वह खबर बना कर चलाई जाती है, दिखाई जाती है। पता नहीं वीजन नहीं रहा या बैठे बैठे खबर बनना मज़बूरी हो गई।

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