हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Monday 12 April, 2010
मां रोती है
बेटा जब रोटी नहीं खाता तब रोती है मां, बाद में जब बेटा रोटी नहीं देता तब रोती है मां ।
यह एक दोस्त के मोबाइल फोन में पढ़े गए एक सन्देश से प्रेरित है।
1 comment:
dhikkar hai aise bete ko...........
Post a Comment