Thursday, 7 April 2011

वर्ल्ड कप, अन्ना हजारे ,आप और हम

हिन्दूस्तान के १२१ करोड़ लोगों में से उन को छोड़ दो जिनको किसी बात की समझ नहीं हैइनमे बच्चे और वे इन्सान शामिल हैं जिन्हें अपने अलावा किसी से कोई मतलब नहींइसके बाद जो बचे उन्होंने क्रिकेट के लिए अपना बहुत समय दियाभारत वर्ल्ड कप जीते , ये प्रार्थना कीजीतने के बाद खुशियाँ मनाईपटाखे छोड़ेमिठाइयाँ बांटीसड़कों पर डांस कियादेर रात तक ख़ुशी से किलकारियां मारते हुए हुए गलियों में घूमेदूसरे दिन तक यही सब कुछ चलता रहाचलना भी चाहिए थासब के भाव थेभारत की इज्जत का सवाल थाकप ना मिलता तो संसार में नाक कट जातीपूरा देश एक हो गयाभारत अखंड नजर आने लगागली,सड़क, छोटे से कौने से भी यही आवाज सुने दी"विजयी भव "। ये कोई स्थाई नहींआज कप हमारे पास हैकल किसी और का होगाकल,मतलब कुछ दिन पहले तक किसी अन्य का थाकिन्तु हिन्दूस्तान था,है और रहेगाकप उतना मान सम्मान हिन्दूस्तान दुनियां में नहीं दिला सकता जितनी ईमानदारी, सच्चाई,मजबूती दिला सकती हैयह सब पाने के लिए भी मैच हो रहा हैअफ़सोस कि इसमें किसी अन्य देश कि टीम नहींदोनों तरफ अपने ही हैंएक तरफ हैं सामाजिक कार्यकर्त्ता अन्ना हजारे और दूसरी ओर भ्रष्ट सिस्टमउसके चलाने वाले नेता,अफसरअन्ना हजारे के साथ देश के हर कौने से हर वर्ग जुड़ रहा हैलोग दिल्ली के जंतर मंतर पहुँच रहे हैंजो नहीं जा पा रहे वे अपने स्तर अन्ना के साथ खड़े दिखते हैं। " हम अन्ना के साथ हैंआप ! अगर आप भी साथ हैं तो ये सन्देश दूर तक भेजोक्योंकि भारत को महान बनाना है। " ये एस एम एस बड़ी संख्या में भेजे जा रहे हैं आगे से आगे, बहुत दूर तकब्लॉग हो या फेसबुकअन्ना के समर्थन में भरे पड़ें हैंहर कोई अन्ना की ही बात कर रहा हैकोई उनसे मिला नहीं लेकिन उनके साथ हैंकिसी को कोई व्यक्तिगत फायदा होने वाला नहीं ,परन्तु अनेकानेक जागरूक जेब से पैसा खर्च कर अभियान के साथ जुड़े हुए हैंइनको अन्ना हजारे या उनके किसी सहयोगी ने ऐसा करने को नहीं कहाइन पर किसी का किसी किस्म के दवाब का भी सवाल नहीं हैफिर भी लागे हैं देश को करप्शन से मुक्त करवाने के अभियान में अन्ना हजारे के साथक्रिकेट की बात पुरानी हो गईअब हर न्यूज़ चैनल पर अन्ना हजारे उनका आन्दोलन हैमहात्मा गाँधी के अनशन के बारे में केवल सुना थासुना कि किस प्रकार गाँधी के अनशन से सरकार हिल जाती थीजन जन गाँधी की भाषा बोलने लगताआज इसको देख लियाकोई फर्क नहींसब कुछ वैसा ही है बस पात्र बदल गएतब देश को विदेशियों से आजाद करवाना थाआज उन अपनों से जो कण कण में करप्शन चाहते हैंइस आजादी के बिना वो आजादी बेकार हो रही है,अधूरी है जिसके लिए गाँधी जी ने अनशन किया थाअगर तब गाँधी जी जरुरी थे तो आज अन्ना हजारे उनसे भी अधिक जरुरी हैंक्योंकि जो पूरा नहीं वह किस काम का

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