Wednesday, 11 August 2010

डाकू जी प्रणाम

नॉएडा की एक महिला अपने पति को डाकुओं के गढ़ से वापिस ले आई। महिला की हिम्मत को स्वतंत्रता दिवस का सलाम। खबर यही होती तो भी बहुत था लेकिन इसके साथ तो एक और बड़ी खबर है जो हमें सोचने को मजबूर कर देती है। खबर यह कि डाकू ने महिला का चरण स्पर्श किये, उसको शगुन के ५१०० रूपये दिए। इस दौरान उसकी आँखे भर आई। अब डाकू को डाकू जी कहना पड़ेगा। जो कुछ डाकू जी ने किया वह तो हमारे नेता भी नहीं करते। डाकू ने बीहड़ में रहकर रिश्तों को नए तरीके से परिभाषित कर दिया। फिरौती लेकर अपने धंधे के प्रति ईमानदारी रखी और घर आई महिला का सम्मान कर भारतीय संस्कारों को मान दिया। बुराई में रहकर इतना बढ़िया आचरण! जिनसे उम्मीद होती है उनके कदम तो डगमगा जाते हैं और जिनसे कोई उम्मीद नहीं होती वे समाज के लिए उदाहरण पेश कर देते हैं। सावित्री के साथ भी तो यमराज ने ऐसा ही किया था। उसके पति के प्राण के साथ साथ उसको अपने वरदानों के साथ विदा किया था यमराज ने। हमारा मकसद किसी की किसी के साथ तुलना करना नहीं है। तुलना तो किसी की किसी के साथ हो ही नहीं सकती। काश! हमारे देश के नेता, अफसर इस डाकू से कुछ आदर्श,प्रेरणा,संस्कार लेकर देश की जनता के बारे में सोचे। नारायण नारायण।

2 comments:

Dr.J.P.Tiwari said...

prerak aur prashansniy

guddi said...

this real life incident shows har insaan mein ram bhi baste hain .
us devi ki himmat ke samne daku bhi jhuk gaye.
wo daku desh ke netaun se kahi achche the jinme nari ka sanman hai !