हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Sunday, 1 August 2010
छोड़ सभी तकरार रे
---- चुटकी----
रिमझिम रिमझिम बूंदें पड़ती ठंडी चले बयार रे, आजा अब तो गले लग जा छोड़ सभी तकरार रे।
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