Saturday, 20 February 2010

साजन का संग ना

सखियाँ रंगों में हो ली
संग है सजना,
मेरी होली तो हो ली
साजन का संग ना।
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रंगों में भीगी सखियाँ
मुझसे यूँ बोली,
साजन के संग बिना री
काहे की होली।
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हाथों में ले पिचकारी
आई मेरी सखियाँ,
साजन की राह निहारे
मेरी सूनी अखियाँ ।

1 comment:

Apanatva said...

bahut pyara hplee kee pratiksha karata ye geet........
Intzar kee ghadiya bhee pyaree hotee hai .........