हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Sunday, 7 February 2010
ये कैसा धर्माचार
----- चुटकी----
धर्म गुरु के सामने पकवानों के ढेर, बाप बिलखता रोटी को समय का देखो फेर। --- लंगर हमने लगा दिए जीमे किये हजार, भूखे को रोटी नहीं ये कैसा धर्माचार।
1 comment:
andhvishvaskaha le jaega pata nahee..
aapkee rachana bahut acchee lagee...........ye hee aaj ka saty..
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