हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Friday, 19 February 2010
फाल्गुन में प्यारा लागे
फाल्गुन में प्यारा लागे मोहे मोरा सजना, उसके बिना री सखी काहे का सजना। ---- कानों में मिश्री घोले चंग का बजना, घुंघरू ना बजते देखो बिन मेरे सजना। ---- रंगों के इस मौसम में भाए कोई रंग ना, फाल्गुन बे रंग रहा री आये ना सजना।
2 comments:
Bahut sunder prany rachana........
Rango kee bochar ke liye taiyar rahiye.........:)
सुन्दर रचना. एकदम फ़ागुनी.
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