Friday, 19 February 2010

फाल्गुन में प्यारा लागे

फाल्गुन में प्यारा लागे
मोहे मोरा सजना,
उसके बिना री सखी
काहे का सजना।
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कानों में मिश्री घोले
चंग का बजना,
घुंघरू ना बजते देखो
बिन मेरे सजना।
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रंगों के इस मौसम में
भाए कोई रंग ना,
फाल्गुन बे रंग रहा री
आये ना सजना।

2 comments:

Apanatva said...

Bahut sunder prany rachana........
Rango kee bochar ke liye taiyar rahiye.........:)

वन्दना अवस्थी दुबे said...

सुन्दर रचना. एकदम फ़ागुनी.