Sunday 10 May, 2009

सागर के रूप में माँ का आशीर्वाद

जैसे ही माँ को चरण स्पर्श किए माँ ने आशीर्वाद के साथ एक जिल्द वाली किताब हाथ में दे दी और बोली, ले इसे इसको रख ले, अब मैंने क्या करनी है। "भक्ति सागर" नामक यह पुस्तक माँ के पास तब से देख रहांहूँ जब से मैंने होश संभाला है। यह पुस्तक भी की तरह काफी वृद्ध हो चुकी है। इसमे भी ज्ञान भरा हुआ है जैसे माँ के अन्दर में। किताब के पन्ने अब थोड़े बहुत टूटने फटने लगे है। मगर उसके अन्दर समाहित ज्ञान में किसी प्रकार की कमी नहीं आई है। सालों पहले जब कभी माँ इसको पढ़ती नजर आती तो मैं भी उसको कभी कभार पढ़ लिया करता था। अब अरसे बाद यह भक्ति सागर मुझे माँ के हाथ में दिखाई दिया। माँ अब पढ़ नही सकती इसलिए यह उनकी किसी पेटी या अलमारी में रखा हुआ था। जब से माँ ने इस पुस्तक को मुझे दिया है,तब से मन विचलित रहने लगा। क्योंकि माँ ने इस भक्ति सागर को कभी अपने से अलग नहीं किया था। अब उन्होंने अचानक अपने इस सागर को मेरी झोली में डाल दिया। मन डरा डरा सा है। क्योंकि माँ से पहले और बाद में कुछ भी नहीं है। माँ धरती की तरह अटल है और आकाश की भांति अनंत। चन्द्रमा की भांति शीतल है और सूरज की तरह ख़ुद जल कर संतान के अन्दर मन में उजाला करने वाली। माँ के मन की गहराई तो कई समुद्र की गहराई से भी अधिक होगी। एक माँ ही तो है जिसको कोई स्वार्थ नहीं होता। अपना पूरा जीवन इस बात के लिए समर्पित कर देती है कि उसकी सन्तान सुखी रहें। किताब को तो पढ़तें रहेंगे,माँ को आज तक नहीं पढ़ पाए। कोई पढ़ पाया है जो हम ऐसा कर सकें। जितना और जब जब पढ़ने की कोशिश की उतना ही डूबते चले गए प्रेम,त्याग,स्नेह,ममत्व की गहराइयों में। माँ ने आज तक कुछ नहीं माँगा। सुबह से शाम तक दिया ही दिया है। उनके पास देने के लिए ढेरों आशीर्वाद है। हमारा परिवार बड़ा धनवान है । हम हर रोज़ उनसे जरा से चरण स्पर्श कर खूब सारे आशीर्वाद ले लेतें हैं सुखी जीवन के। मेरा तो व्यक्तिगत अनुभव है कि अगर आपके पास माँ के आशीर्वाद का कवच है तो फ़िर आपके पथ सुगम है। कोई भी बाधा,संकट,परेशानी आपकी देहरी पर अधिक समय तक रहने की हिम्मत नहीं कर सकती। माँ का आशीर्वाद हर प्रकार की अल बला से बचने की क्षमता रखता है। एक बार दिन की शुरुआत उनके चरण स्पर्श करके करो तो सही, फर्क पता चल जाएगा।

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