हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Monday 28 September, 2009
केवल पिसे गरीब
श्री कबीर जी ने कहा था--- चलती चक्की देख कर दिया कबीरा रोए, दो पाटन के बीच में साबुत बचा न कोए।
आज के संदर्भ में --- चलती चक्की देखकर अब रोता नहीं कबीर, दो पाटन के बीच में अब केवल पिसे गरीब।
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