Monday, 6 April 2009

नारदमुनि को वापिस भेजा

धर्मराज के दरबार के अन्दर की कार्यवाही शुरू हो चुकी थी। उसके बाहर भीड़ के साथ मीडिया के लोग बड़ी संख्या में जमे हुए थे। कल की तरह यम् के दूत नारदमुनि को लेकर दरबार में हाजिर हुए। चित्रगुप्त ने कहा, महाराज फैसले से पहले कुछ पूछना चाहते हैं। इसका मुकदमे से कोई सम्बन्ध नहीं है। महाराज अपनी जिज्ञासा शांत करना चाहते हैं।धर्मराज ने पूछा--ये राहुल कौन है? नारदमुनि--हिंदुस्तान के युवराज हैं महाराज। धर्मराज--तुम्हारा युवराज तो कमाल का है। उसके पास कार तक नहीं है। नारदमुनि--महाराज हिंदुस्तान में तो लाखों परिवार ऐसे हैं जिनके पास घर बार और रोटी तक नही है। फ़िर राहुल के पास तो सरकार है,उसको कार क्या करनी है। धर्मराज--लोगों के पास घर बार और रोटी नहीं है! ये तो भारत के न्यूज़ चैनल नहीं दिखा रहे। वे तो बार बार यही बता रहें है कि राहुल के पास कर नहीं है। नारदमुनि--महाराज आम आदमी के अभाव,दर्द,प्रताड़ना,उसके साथ होने वाला अन्याय ,जुल्म हिंदुस्तान में कोई ख़बर नहीं मानी जाती है। वहां का मीडिया तो बड़ों के लिए है।धर्मराज--तो फ़िर.......... नारदमुनि--महाराज क्या क्या पूछोगे,मैं जानता हूँ मैं वहां कैसे रहता हूँ। एक जरा से झूठ की वजह से मुझे पकड़ कर यहाँ लाया गया। हिंदुस्तान में तो केवल और केवल झूठ की चलता है। सच तो इधर उधर झूठ के डर से दुबका रहता है। महाराज आप अपना फैसला सुनाओ। धर्मराज--तुमको आरोप मुक्त किया जाता है। दूत नारदमुनि को वापिस हिंदुस्तान भेज दिया जाए। दरबार में बैठे सभी देवी देवताओं के चेहरों पर मुस्कान दिखाई दी। चित्रगुप्त ने आकर मीडिया को फैसले की जानकारी दी। फ़िर वे शुरू हो गए अपने अपने अंदाज में।

1 comment:

सर्वत एम० said...

sharm kahen, dukh kahen kuchh samajh men naheen ata. lekin hamaree is peeda ka rajneeti se kya nata.