हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Thursday, 7 May 2009
ऐसा कौन है ये तो बताओ
श्रीगंगानगर में मेरे घर आई [ मंगवाई] राजस्थान पत्रिका के पहले पेज पर ये लिखा है। बटन दबाने से पहले सोचिये...... । जिस प्रत्याशी को आप चुनने जा रहें हैं वह राष्ट्रीय सोच रखता हो। समझदार और शिक्षित हो। आसानी से उपलब्ध हो। निर्भीक और निष्पक्ष हो। अपनी जाति नहीं सबका हो। क्षेत्र व प्रदेश की बात मजबूती से रखता हो। अपराधी ना हो। जाति व धर्म की बात ना करता हो।भ्रष्टाचारी न हो,ईमानदार हो। सच में उम्मीदवार तो ऐसा ही होना चाहिए। लेकिन अख़बार में ये नहीं बताया कि ऐसा उम्मीदवार कौन है। यूँ तो अख़बार में यहाँ के मुख्य प्रताशियों के बारे में लगातार खबरें, आलेख छापें हैं। किंतु इन में से एक भी वैसा नहीं जिसे यह निर्णय किया जा सके कि पत्रिका के अनुसार यह बन्दा वोट का सही हक़दार है। अख़बार ने लोगों को वोट देने के लिए बहुत अधिक प्रोत्साहित किया है। परन्तु बात वही कि यह कहीं कोई संकेत नहीं की यह प्रत्याशी सही है। खैर मुझे वोट देने जाना है। इस बार बहुत से वोटर पीठासीन अधिकारी से यह पूछने वाले हैं कि हमने जो प्रत्याशी हैं उनमे से किसी को वोट नही देना। इसलिए इसका विकल्प बताओ। मेरी बहुत वोटर से इस बारे में बात हुई है। बहुत से वोटरों ने कहा कि १५ में से कोई नहीं। इसलिए इन सबको रिजेक्ट करना है। पता नहीं पीठासीन अधिकारी क्या करेगा। राजस्थान में आज वोटिंग है। अगर कहीं हमारे जैसी स्तिथि है तो पीठासीन अधिकारी से विकल्प पूछा जाना चाहिए। चाहे ना हो कोई विकल्प,आवाज तो उठे।
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1 comment:
बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने!
आपने बिल्कुल सही फ़रमाया है कि वोट देना हर एक व्यक्ति का धर्म है और सभी वोट देते हैं पर ये जानना तो असंभव है कि वोट देने में कौन काबिल है!
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!
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