Friday 31 October, 2008

दोनों मस्ती करेंगे

कल अगर मैं मर भी जाऊँ
गम ना करना,
आंसू भी ना बहाना
मेरी अर्थी भी न उठाना
बस सीधे ऊपर चले आना
दोनों मस्ती करेंगे।
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दुश्मनी के कदम कब तलक
मैं भी थक जाउंगी,तुम भी थक जाओगे।
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बंद ओठों का सबब है कोई
वक्त आया तो हम भी बोलेंगें।
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ऐसी दोस्ती हो हमारी तू हर राह हर डगर
हर सफर में मिले,
मैं मर भी जाऊँ तो भी दोस्ती की खातिर
तू बगल वाली कब्र में मिले।
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गनीमत है नगर वालो
लुटेरों से लुटे हो तुम,
हमें तो गाँव में अक्सर
दरोगा लूट जाता है।

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