Monday 20 October, 2008

छुई मुई से भी नाजुक

मुझे देखकर तुम यूँ
अपने आप में सिमट जाती हो
जैसे अंगुली को देख
छुई मुई का पौधा,
ये ठीक है कि तुम
उस पौधे की तरह
अधिक शर्मीली ,संवेदनशील
और ज्यादा नाजुक हो,
लेकिन मुझे तुमसे अच्छा
वह छुई मुई का
पौधा लगता है,
क्योंकि वह कुछ पल बाद
अंगडाई लेकर
अपने हुस्न का जलवा
दिखा देता है
मगर तुम
अपने आप को
अपने ही अन्दर
समेटे हुए
बैठी रहती हो
मेरे जाने तलक।
---गोविन्द गोयल

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