हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Tuesday, 26 January 2010
हमारे कलेक्टर का कुत्ता
मालिक के घर मेहमान आये हों तो जानवर भी खुश हो जाते हैं। अगर मालिक कलेक्टर हो तो उसको अपनी ख़ुशी सार्वजनिक करने का मौका भी मिल जाता है। यह किसी किताब में नहीं है। यह सब तो आज हमने प्रत्यक्ष देखा। यहाँ श्रीगंगानगर में गणतंत्र दिवस के मुख्य सरकारी समारोह के बाद जिला कलेक्टर के यहाँ जल पान होता है, कुछ खास खास लोगों के लिए। कलेक्टर कुछ लोगों के साथ बात कर रहे थे, अचानक उनका पालतू,मोटा ,तगड़ा कुत्ता उनके पास आ गया। ख़ुशी उसके रोम रोम में झलक रही थी। कलेक्टर ने उसको अन्दर जाने के लिए कहा। कलेक्टर थोड़ा आगे आये, कुत्ता अपने दोनों पैर उनके कंधे पर रख अपनी ख़ुशी,स्नेह,लाड प्रकट करे। अब बेचारे कुत्ते को थोड़ी पता है कि वह किस मौके पर क्या कर रहा है। ऐसी ही ख़ुशी कुत्ते ने एक कर्मचारी के प्रति दिखाई। कर्मचारी की हालत क्या हुई वही जाने। बेचारा बोलने लायक ही नहीं था। आखिर वह कलेक्टर का कुत्ता था, किसी आम आदमी का नहीं। कुत्ता कई मिनट तक कलेक्टर के बदन पर पैर रख अपना उल्लास दिखता रहा। दो कर्मचारी चैन लेकर आये। परन्तु कलेक्टर उसको खुद घर के अन्दर ले गए। उसके बाद कलेक्टर जी सबके बीच आये। जानवर है उसको ये थोड़ी ना पता है कि ऐसे मौके पर अपनी भावनाओं को कंट्रोल करना पड़ता है। उसको इंसानों की तरह मुखोटे तो लगाने आते नहीं ना, अन्दर कुछ, बाहर कुछ।
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2 comments:
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