हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Sunday, 17 January 2010
राजू गाइड को थैंक्स
देश में बड़ा सूर्यग्रहण है। इसलिए धर्मपत्नी ने सुबह ही बता दिया कि ग्रहण शुरू होने से मोक्ष तक घर से बाहर नहीं जाना। बेटे को स्कूल नहीं भेजा। कई अख़बारों में ग्रहण का समय देखा। उसके हिसाब से रसोई का काम निपटा दिया। मतलब अब चाय,पानी, भोजन, ग्रहण के समाप्त होने के बाद ही। क्या करें?चलो टीवी पर ग्रहण देखते हैं लाइव। बार बार चैनल बदल कर देखते रहे। कमरे का दरवाजा बंद, बाहर देखना नहीं। पत्नी जो धर्मपत्नी है,मन ही मन कोई पाठ करती रही। नजर बेटे पर थी। वह कसमसा रहा था। मैं खुद भी चैनल बदल कर तंग था। चैनल को बदलने के दौरान एक चैनल पर गाइड फिल्म दिखाई दी। सच में राजू गाइड ने ऐसा गाइड किया कि समय बीतता ही चला गया। बेटे को भी कुछ राहत मिली। फिल्म की बात शुरू हो गई। फिल्म में चित्तौड़ का किला देख पुराने दिन याद आ गये। सूरज का ग्रहण समाप्त हो गया,हमारी कैद। पत्नी ने खुद स्नान किया,बेटे को करवाया। मुझ पर गंगाजल छिड़का। तब कहीं जाकर घर की इस कैद से खुले में जाने की इजाजत मिली। इस कैद में राजू ने जो साथ दिया, उसका कोई जवाब नहीं। वरना मुझे पता नहीं, चैनल पर ग्रहण के बारे में और क्या क्या देखना,सुनना पड़ता। मगर अंत में ये नहीं देख पाया कि राजू का स्वामीपना गाँव में बरसात करवाने में सफल हुआ या नहीं। क्योंकि फिल्म पूरी नहीं देख सका। कई घंटे की कैद से छुट्टी के बाद खुद को खुले में जाने से नहीं रोक सका। चैनल ने मेरा इंतजार तो करना नहीं था। फिल्म ने ख़तम तो होना ही था, हो गई। फिर भी राजू गाइड को थैंक्स।
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1 comment:
ha..haa. aaj raaju guide ne aapko guide kar diyaa!!
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