हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Wednesday, 20 January 2010
बसंत और पतझड़
तेरा जाना पतझड़ तेरा आना बसंत, मन एक कामनाएं अनंत। ---- बसंत से सराबोर हर उपवन, पतझड़ सा वीरान तेरा मेरा मन।
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