श्रीगंगानगर से मुंबई बहुत दूर है। वहां गणेश उत्सव की धूम रहती है। यह गणेश उत्सव अब कई सौ मील दूर भारत-पाक सीमा पर स्थित श्रीगंगानगर में भी आ गया है। यहाँ भी कई घरों में गणपति की स्थापना की जाती है। हम इसका विधि विधान नही जानते इसके बावजूद हमने गणपति की स्थापना घर में की। बारह दिन घर में खूब धूम धाम रही। आज परिवार और निकट मित्रो के साथ गणपति को विदा किया ताकि अगले साल फ़िर से आ सकें। गणपति के साथ बड़ा ही आनंद मनाया। परिवार,सम्बन्धी,मित्रों के परिवार आए गए। जिस से सामाजिक संबंधों का निर्वहन हुआ। आज गणपति की विदाई के बाद घर एक बार तो सूना सूना लग रहा है।घर से कोई विदा होता है तो एक बार तो कुछ खाली पन सा लगता ही है। विदाई है ही ऐसी। चाहे वह किसी की भी हो। उम्मीद है कि गणपति अगले बरस फ़िर इसी प्रकार धूम मचाने के लिए,अपनों के साथ मिलने मिलाने का मौका देने के लिए आयेंगे। गणपति बाप्पा आपका इंतजार रहेगा हमें। आओगे ना! जरू र आना। अच्छा, भूलना नहीं।
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