कोई भी अपनी पत्नी से पूछे कि वह आपके बारे में चार-पाँच अच्छी बात,आदत बताए। पत्नी सोचती रहेगी और आप उसके मुहं की तरफ़ देखने के अलावा कुछ नहीं कर सकेंगें। अब आप उससे कोई पाँच बुरी बात,बुरी आदत बताने को कहो। आपको अपनी हकीकत पता चल जायेगी। [ हमें तो पता चल चुकी है।] इसी प्रकार भाई से बहिन की,बहिन से भाई की। एक दोस्त से दूसरे के बारे में, छात्र-छात्रा से टीचर के लिए,टीचर से स्टूडेंट्स के लिए पूछा जा सकता है। बड़ी स्तर पर हम देश के बारे में यह बात पूछ सकते हैं। कोई भी किसी के बारे में अच्छी बात,आदत बताने से पहले सोचेगा,चिंतन करेगा। वही बुरी बात एक पल में बिना रुके बता देगा। चलो उदाहरण देकर बताता हूँ।
वैज्ञानिक के० संथानम ने भारत द्वारा किए गए परमाणु विस्फोट पर सवालिया निशान लगा दिया। इस से ज्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है। एक निरक्षर परिवार भी अपने घर की कमजोरी को बाहर उजागर नहीं करता। यहाँ देश के जाने माने लोग हिंदुस्तान को "मेरा भारत महान" बनाने में लगे हुए है। देश के दुश्मनों के लिए इस से बढ़िया ख़बर और क्या हो सकती है। एक नेता जिन्ना की तारीफ करता है,एक वैज्ञानिक परमाणु विस्फोट की सफलता पर सवालिया निशान लगाता है। इसे भाई चारा तो कह ही सकते हैं।
अब परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व मुखिया होमी नुसरवानजी सेठना जी भी संथानम जी के साथ भाई चारा दिखाते हुए कह रहें हैं कि १९९८ का परमाणु परीक्षण विफल हो गया था। श्री सेठना तो ये भी कहतें है कि प्रख्यात परमाणु वैज्ञानिक ऐ पी जे अब्दुल कलाम विस्फोटकों के दोहन और विकास के बारे में कुछ नहीं जानते।
इन महान लोगों की बात कितनी सच है वही जानें। लेकिन क्या यह सब बोलना देश के हित में है? ये तो बहुत ऊँचे स्तर पर अपनी बात मजबूती से रख सकते हैं। सरकार बड़े बड़े वैज्ञानिकों को उनके साथ लगाकर सच्चाई का पता लगा सकती है। उनके इस प्रकार से करने की क्या जरुरत पड़ी?
वैसे एक बात है, इस देश में,वह यह कि रिटायर होने के बाद हर कोई अपने विभाग की, देश की, व्यवस्था की आलोचना शरू कर देता है। उस से पहले वह सरकारी सुविधाएँ भोगता है। बात वही कि हम सब बुरी बात तो झट से बोल देते हैं।
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