हिंदुस्तान की संसद में ५४३ सदस्य हैं। इस बार इनमें से कितने ऐसे हैं जो अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ा रहें हैं। इंदिरा गाँधी का तो जैसे सारा कुनबा ही आ गया। देश वासियों को इसकी जानकारी तो होनी ही चाहिए कि संसद में उन सांसदों की संख्या क्या है जिनका कोई रिश्तेदार ना तो पहले कभी सांसद रहा न विधायक। जिस प्रकार की खबरें पढ़ने और देखने में आ रही है उस से तो ऐसा लगता है कि इस बार ऐसे सांसदों की गिनती ज्यादा है जो परिवार वाद के कारण यहाँ तक आयें हैं। यही हाल रहा तो एक दिन संसद में केवल वही बैठे नजर आयेंगें जिनके परिजनों ने कभी यहाँ की शोभा बढाई होगी। इसका मतलब, राजशाही बदले हुए रूप में दिखने लगेगी। तब यहाँ लोकतंत्र की आड़ में राजशाही व्यवस्था काम करेगी। तमिलनाडू, उड़ीसा,पंजाब में तो इसके रंग दिखने लगे हैं।
बचपन में [मेरे बचपन में] मेरे दादा नगरपालिका के मेंबर रहे थे। अगर वे आगे बढ़ते और मैं या परिवार का कोई सदस्य उनका हाथ पकड़ कर आगे बढ़ता तो शायद हम भी इसका हिस्सा बन जाते। ऐसा हो ना सका। ऐसा होता तो यह सब लिखने के कहाँ से आता। तब तो कोई लिखता भी तो बुरा लगता।
खैर! प्रश्न वही कि कितने सांसद परिवार वाद को आगे बढ़ा रहें हैं? अगर किसी को पता हो तो जरुर बताये। जिससे हमारी जानकारी में बढोतरी हो सके।
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