हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
तू है तो तेरा फ़िक्र क्या
तू नहीं तो तेरा ज़िक्र क्या।
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सीधे आए थे मेरी जां,औन्धे जाना
कुछ घड़ी दीदार और कर लूँ।
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ये कहना है श्री रवीन्द्र कृष्ण मजबूर का।
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