हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Monday 1 December, 2008
शर्म नैतिकता अभी बाकी है!
---- चुटकी--- इस बात पर हँसी आती है, कि पाटिल में शर्म और नैतिकता अभी बाकी है। ---- वो हमें जब चाहें घर में घुसकर मारते हैं, और फ़िर हम लुटी पिटी हालत में अपनी बहादुरी की शेखी बघारतें हैं।
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