हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Monday, 30 March 2009
अफसर का कुत्ता मरा
अब आपसे विदा लेने का समय नजदीक आ रहा है। बस दो दिन की बात है। दो दिन हँसते हँसते निकल जायें तो बेहतर होगा। चलो थोड़ा हंस लेते हैं मेरे ओठों से तो हँसी गायब हो चुकी है, जब जाने का समय आ जाए तो बड़े बड़े हंसोकडे हँसाना हंसना भूल जाते हैं।एक बहुत बड़ा अफसर था। उसके पास जानदार शानदार कुत्ता था। अफसर का कुत्ता था तो उसकी चर्चा भी इलाके में थी। सब उसको नाम और सूरत से जानते भी थे। लो भाई एक दिन कुत्ता चल बसा। ओह! अफसर के यहाँ शोक प्रकट करने वालों की भीड़ लग गई। नामी गिरामी से लेकर आम आदमी तक आया। [आम आदमी तो तमाशा देखने आया.उसको अफसर के पास कौन जाने देता।] हर कोई कुत्ते की प्रशंसा करे। मीडिया भी पीछे नहीं रहा। ब्लैक बॉक्स में कुत्ते की फोटो लगा कर उसकी याद में कई लेख लिखे गए। अफसर के खास लोगों ने कुत्ते के बारे में संस्मरण प्रकाशित करवाए। शोक संदेश छपवाए। तीये की बैठक तक मीडिया से लेकर घर घर कुत्ते की ही चर्चा थी।अफसर कुत्ते की मौत का गम सह नही सका। उसकी भी मौत हो गई। अब नजारा अलग था। कोई माई का लाल शोक प्रकट करने नही पहुँचा। जरुरत भी क्या थी। जिसको सूरत दिखानी थी वही नही रहा।
अफसर का कुत्ता
अब आपसे विदा लेने का समय नजदीक आ रहा है। बस दो दिन की बात है। दो दिन हँसते हँसते निकल जायें तो बेहतर होगा। चलो थोड़ा हंस लेते हैं मेरे ओठों से तो हँसी गायब हो चुकी है, जब जाने का समय आ जाए तो बड़े बड़े हंसोकडे हँसाना हंसना भूल जाते हैं।एक बहुत बड़ा अफसर था। उसके पास जानदार शानदार कुत्ता था। अफसर का कुत्ता था तो उसकी चर्चा भी इलाके में थी। सब उसको नाम और सूरत से जानते भी थे। लो भाई एक दिन कुत्ता चल बसा। ओह! अफसर के यहाँ शोक प्रकट करने वालों की भीड़ लग गई। नामी गिरामी से लेकर आम आदमी तक आया। [आम आदमी तो तमाशा देखने आया.उसको अफसर के पास कौन जाने देता।] हर कोई कुत्ते की प्रशंसा करे। मीडिया भी पीछे नहीं रहा। ब्लैक बॉक्स में कुत्ते की फोटो लगा कर उसकी याद में कई लेख लिखे गए। अफसर के खास लोगों ने कुत्ते के बारे में संस्मरण प्रकाशित करवाए। शोक संदेश छपवाए। तीये की बैठक तक मीडिया से लेकर घर घर कुत्ते की ही चर्चा थी।अफसर कुत्ते की मौत का गम सह नही सका। उसकी भी मौत हो गई। अब नजारा अलग था। कोई माई का लाल शोक प्रकट करने नही पहुँचा। जरुरत भी क्या थी। जिसको सूरत दिखानी थी वही नही रहा।
Saturday, 28 March 2009
वरुण गाँधी की टीआरपी
वरुण गाँधी की टीआरपी! है ना आश्चर्य की बात। जी बिल्कुल है। अभी तक तो न्यूज़ चैनल की टीआरपी सुनी थी। गत कई दिनों से वरुण गाँधी मीडिया की, खासकर टीवी न्यूज़ चैनल, सुर्खियाँ बने हुए थे। न्यूज़ चैनल में वरुण को अपनी ताई और देश की सबसे ताक़तवर महिला सोनिया गाँधी से भी अधिक समय मिला होगा। इस से अधिक उपलब्धि किसी युवा नेता के लिए और क्या हो सकती है। आज तो पूरा दिन वरुण गाँधी के नाम ही रहा। इतनी पब्लिसिटी तो कोई जानदार,शानदार स्पीच देकर भी नही मिलती। यह सिलसिला अभी कई दिन तक चलेगा। बाकी नेता माथे पर हाथ रखकर अपने आप को कोस रहें होंगे कि हाय मैंने ऐसा वैसा क्यों नहीं बोला। अब देखना चुनाव में नरेंद्र मोदी की तरह वरुण गाँधी की भी डिमांड बढ़ जायेगी। हर बीजेपी उम्मीदवार अपने यहाँ वरुण गाँधी को लाना चाहेगा। एक न्यूज़ चैनल का संवाददाता ख़बर में वरुण गाँधी को बीजेपी का प्यादा बता रहा था। कई बार प्यादा भी अपनी चाल से खेल का पासा पलट देता है। जब बात लडाई की हो तो हर वह इन्सान महत्वपूर्ण होता है जो उसमे सीधे सीधे भाग ले रहा होता है। किस के हाथ कब कोई दाव लग जाए क्या कहा जा सकता है। एक दाव भी सही पड़ गया तो समझो बन गई बात। चुनाव में पहला और आखिरी मकसद चुनाव जीतना होता है।वरुण गाँधी ने क्या कहा? उसको क्या कहना चाहिए था और क्या नहीं? इस बारे में हमने कुछ नहीं कहना। लेकिन इसमे कोई दो राय नहीं हो सकती कि वरुण गाँधी फिलहाल टीआरपी में अन्य तमाम लीडर्स से आगे हैं।
Friday, 27 March 2009
पाक घुसपैठिये आतंकवादी थे
श्रीगंगानगर जिले से लगती भारत-पाक सीमा गत दिवस जो दो पाक घुसपैठिये बी एस एफ ने मारे थे वे आतंकवादी थे। बल के डीआईजी सी आर चौहान ने कहा दोनों ९९.९९% आतंकवादी ही थे। एक सप्ताह में बल ने दो पाक घुसपैठियों को मारा और एक को जिन्दा पकड़ लिया। अब सीमा सुरक्षा बल के बड़े अफसर मुश्किल में फंस गए हैं। उनसे यह पूछा जा रहा है कि घुसपैठियों को मारा क्यों,जिन्दा क्यों नहीं पकड़ा। बल के सूत्र बताते हैं बजाये पीठ थपथपाने के बहुत बड़े अफसर यहाँ के अफसरों से कई बार सवाल जवाब कर चुके हैं। श्री चौहान ने कहा कि पहले उनको चेतावनी दी गई, मगर वे रुके नहीं। उनके पास किसी प्रकार का कोई हथियार ना हो, इस आशंका के चलते बल के जवानों ने फायर किए। यहाँ यह सवाल है कि आख़िर उनको गिरफ्तार करके क्या होता! जेल में पड़े पड़े रोटियां तोड़ते,उनकी सुरक्षा के इंतजाम करने पड़ते,राजनीति होती अलग से। खैर राजनीति तो अब भी होने की बात सामने आई है। क्योंकि लोकसभा चुनाव में एक समुदाय के वोट पर कब्जा जो करना है। इसलिए अगर वो किसी कारण मारे जाते हैं तो धर्मनिरपेक्ष? पार्टियों को तो दुःख होता ही है। [ पोस्ट के साथ डीआईजी श्री चौहान का विडियो है। वह विडियो भी हमारे पास है जिसमे उन्होंने घुसपैठियों के आतंकवादी होने की बात कही है। इस विडियो में कुछ अलग बात है मगर महत्वपूर्ण। ]
Thursday, 26 March 2009
पाकिस्तानियों की घुसपैठ
सीमा सुरक्षा बल ने बॉर्डर पर भारत में घुसने की फिराक में आए एक पाक युवक को गिरफ्तार किया है। उसके पास से एक मोबाइल फ़ोन,अलग अलग कंपनी के आठ सिम कार्ड,९०५ रूपये पाकिस्तानी बरामद गये। इसके पास एक डायरी भी मिली जिस पर उर्दू में फ़ोन नम्बर लिखे हुए हैं। इस युवक का नाम जुल्फिकार है। इसका कहना है कि वह रास्ता भटक कर सीमा की ओर आ गया। यह युवक दिन के समय पकड़ा गया। ज्ञात रहे कि चार दिन पहले दिन दिहाड़े भारत में घुसने की कोशिश करते दो पाकिस्तानियों को बीएसफ ने मार गिराया था। उनके पास भी कई सिम कार्ड बरामद हुए थे। इस घटनायों के बाद बॉर्डर पर हाई अलर्ट कर दिया गया है। सुरक्षा एजेंसियां घुसपैठ की इन प्रयासों को गंभीर मान रहीं हैं। क्योंकि दिन के उजाले इस प्रकार से भारत में घुसने का प्रयास दुस्साहस ही है। ये घटनाएँ तब हुई हैं जब भारत के गृह मंत्री पी चिदंबरम के सीमा क्षेत्रों का दौरा करने के समाचार आ रहें हैं।पाकिस्तान ने गत दिवस मरे गए घुसपैठियों के शव लेने से भी इंकार कर दिया था। उसका कहना था कि मृतक पाक नागरिक नही है। उधर कुपवाड़ा जिले में सेना पाक आतंकवादियों से लड़ रही है। राजस्थान में पाक युवक दिन दिहाड़े भारत में आने की कोशिश करते हैं।
Wednesday, 25 March 2009
बुरे बनोगे,मजे करोगे
क्यों, बुरा लगा ना पढ़कर। लोग भला बनने के लिए कहतें हैं, नारदमुनि बुरे के गीत गा रहें हैं। चलो घर से शुरू करतें हैं। घर में जो बालक-बालिका बिल्कुल सीधे,आज्ञाकारी,अनुशासित रहतें हैं उनकी फ़िक्र कम होती है। इसके विपरीत लड़ाकू,खब्ती,शरारती की पूछ अधिक। इसलिए ताकि घर में शान्ति रहे। इनका मूड देखकर बात की जाती है।ऐसी वैसी बात करने से पहले घर वाले कई बार सोचतें हैं। यही फार्मूला हर जगह लागू होता है। मीडिया में उस पत्रकार को सर्वाधिक महत्व मिलता है जो किसी का भी बुरा करने में देर ना लगाता हो। सब यही कहतें हैं- अरे पहले उसको बुला लो,अरे , उस से बात हो गई ना, उसको निमंत्रण भेज दिया ना,अरे देखना उसको मत भूल जाना... आदि आदि। जबकि इसके विपरीत दूसरों के बारे में यही कहा जाता है, चलो कोई बात नहीं,फोन कर लेंगें। राजनीति में तो हम हर रोज देखतें हैं। राजस्थान की बात हो या देश की वही नेता कामयाब हैं जो बुरा बनकर अवसर का लाभ उठातें हैं। सरकारी ऑफिस,पुलिस विभाग में ऐसे ही व्यक्ति अन्दर और बहार पूजनीय होतें हैं। हर आदमी की मदद करने वालों को तो यह कहा जाता है,मुर्ख है,भोला है,दुनियादारी जानता ही नहीं।टीवी पर आने वाले विज्ञापन देख लो। अधिकांश नकारात्मक होतें हैं। जैसे--अरे देख लग रहा है क्या... । अब लग गया। हमें मीठे पानी की जरुरत नहीं अरविन्द की मम्मी को उसकी जरुरत है। फलां गोली से जुबान बंद रहती है, हाथ नहीं। और बाप लड़के के थप्पड़ मारता है। अपराध की ख़बर पहले पेज पर होती है किसी ने अच्छा काम किया हो तो उसको अन्दर के पेज पर डाल दिया जाता है। अपराधी की फोटो के लिए पत्रकार ख़ुद पुलिस की लल्लालोरी करते है। समाज में बढ़िया कुछ करने वालों को अपनी फोटो ख़ुद देकर आनी पड़ती है,वह भी डरते डरते।वर्तमान का सबसे बड़ा रोग, क्या कहेंगें लोग। जिसको यह रोग लग गया। उसका कुछ नहीं हो सकता। " कुछ तो लोग कहेंगें लोगों का काम है कहना"....याद रखने वाले मजे में रहतें हैं।
Tuesday, 24 March 2009
जो हिंदू हित की बात करेगा....
चुनाव आयोग ने वरुण गान्धी को टिकट ना देने की सलाह देकर अपने आप को पता नहीं क्या साबित करना चाहता है। ना जाने कितने ऐसे "नेता" हैं जिन पर दर्जनों आपराधिक मुकदमें चल रहें हैं। उनके चाल चलन पर उंगुलियां उठतीं हैं। इसके बावजूद वे चुनाव लड़तें हैं,जीतकर विधायक,सांसद बन जाते हैं। चुनाव आयोग इनको टिकट दिलाने से क्यों नही रोकता। मीडिया में बार बार ऐसे "नेताओं" के बारे में बताया और दिखाया जाता है। चुनाव आयोग चुप्प। इसका तो सीधा सा यही मतलब है कि बस हिन्दुओं के पक्ष में बात करने वाला ही सबसे बड़ा देशद्रोही है। हिन्दुओं की वकालत करने वाला साम्प्रदायिक है। हिंदू हित की बात करने वाला विधायक या सांसद बनने के लायक नहीं। हिन्दुओं के बारे में सोचना भी गुनाह है। ऐसी क्या कमी है हिन्दुओं में? क्या जुल्म कर दिया हिन्दुओं ने? इंसान अपने भले की बात भी ना करे। यह कैसा वातावरण है? यह कोई किसी की चाल तो नहीं? मुस्लिम समाज की वकालत करने वाले नेता वन्दनीय और पूजनीय हो गए।हिंदू की बात करने वाला साम्प्रदायिक। कितनी हैरानी की बात है कि देश के कई कानून केवल हिन्दुओं पर ही लागू होतें हैं। कानून भी जाति,धर्म के अनुसार लागू किए जा रहें हैं। हिंदू-मुस्लिम भाई भाई हैं तो भेद-भाव क्यों? दोनों को सभी जगह समानता क्यों नहीं मिलती? अगर कोई इस बारे में बात करता है तो देश में बवाल क्यों मचाया जाता है। सही बात करने वाले की पीठ थपथपाई जानी चाहिए। यहाँ चुनाव आयोग सलाह देते हैं कि उसको टिकट ना दी जाए। चुनाव आयोग जी थोडी सलाह मुलायम सिंह यादव,लालू प्रसाद यादव,मायावती,राम बिलास पासवान,अमर सिंह जैसों को भी दे दो आपका क्या घट जाएगा। इस देश में तो अब नया नारा होना चाहिए--
जो हिंदू विरोधी
बात करेगा,
वही देश पर
राज करेगा।
जो हिंदू विरोधी
बात करेगा,
वही देश पर
राज करेगा।
Monday, 23 March 2009
भगत सिंह,राजगुरु और सुखदेव को नमन

आज से ७८ साल पहले इसी दिन की शाम को अंग्रेजी हकुमत ने सरदार भगत सिंह,राजगुरु और सुखदेव को फांसी पर चढा दिया था। सब ग़लत और दो नंबर के काम अंधेरे में होते हैं। यही किया अंग्रेजों ने २३ मार्च १९३१ की शाम ७-३० बजे। जनता के आक्रोश के डर से पुलिस ने उनके मृत शरीर उनके परिजनों को नहीं सौंपे। डरी सहमी सरकार ने आधी रात को सतलुज नदी के किनारे इन शहीदों के मृत शरीरों का दाह संस्कार किया। तब वहां यह ऐलान किया गया " जनता को सूचित किया जाता है कि भगत सिंह,राजगुरु और सुखदेव के मृत शरीरों को,जिन्हें कल शाम[२३ मार्च] फांसी दे दी गई थी,जेल से सतलुज के किनारे ले जाया गया है, जहाँ सिख और हिंदू धर्मविधि के अनुसार उनका दाहसंस्कार कर दिया गया। उनके अवशेसनदी में प्रवाहित कर दिए गए।"
आज इनके शहीद दिवस पर इनको याद करके हम इनपर कोई अहसान नहीं कर रहे। यह हमारा धर्म भी है और कर्तव्य भी। क्योंकि यही वे लोग थे जिन्होंने बिना किसी निजी स्वार्थ के देश के लिए काम किया। आज अपने बच्चों को यह बताने का दिन है कि ये महान युवक कौन थे और हमारे लिए आदरणीय किस कारण हैं। हम मन,कर्म और वचन से उनको श्रद्धांजली अर्पित करते हैं।
आज इनके शहीद दिवस पर इनको याद करके हम इनपर कोई अहसान नहीं कर रहे। यह हमारा धर्म भी है और कर्तव्य भी। क्योंकि यही वे लोग थे जिन्होंने बिना किसी निजी स्वार्थ के देश के लिए काम किया। आज अपने बच्चों को यह बताने का दिन है कि ये महान युवक कौन थे और हमारे लिए आदरणीय किस कारण हैं। हम मन,कर्म और वचन से उनको श्रद्धांजली अर्पित करते हैं।
Labels:
भगत सिंह,
राजगुरु और सुखदेव को नमन
Sunday, 22 March 2009
बीएसफ ने दो पाकिस्तानी मारे
श्रीगंगानगर जिले की भारत पाक सीमा पर बीएसफ ने २ पाकिस्तानी युवकों को मार गिराया। ये दोनों दिन में भारत की सीमा में घुसने का प्रयास कर रहे थे। इनके पास से अलग अलग कंपनी के पाँच मोबाइल फ़ोन के सिम कार्ड और पाकिस्तानी मुद्रा बरामद हुई है। इनकी उम्र २१ से २५ साल के बीच है। इस घटना के बाद बीएसफ ने पाक रेंजर्स के साथ फ्लैग मीटिंग की। रेंजर्स ने इन युवकों के शव लेने से इंकार कर दिया। दिन दिहाड़े इस प्रकार से पाकिस्तानी युवकों की भारत में घुसने की इस कोशिश ने खुफिया एजेंसियों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कहीं मारे गए युवकों का सम्बन्ध किसी आतंकवादी संगठन से तो नहीं है।
Saturday, 21 March 2009
कांग्रेस-बीजेपी करें प्रयोग
हिंदुस्तान में जब से छोटे छोटे दलों के हाथ में सत्ता में मोल तोल करने की जुगत आई है तब से देश पीछे हो गया । सरकार चलने वाला दल इन प्राइवेट कम्पनी की भांति चलने वाले दलों के दल दल में फंस जाता है। वह देश हित की बजाय सरकार बचाने के जुगाड़ में लगा रहता है। हर दल को समर्थन के बदले में कुछ ना कुछ नही बहुत कुछ चाहिए। ऐसा १९८९ से चल रहा है। पहले यह कम था अब ज्यादा। अगर यही हाल रहा तो देश की कीमत पर समर्थन का सिलसिला चलता रहेगा। मगर थोड़ा सा परिवर्तन हो तो कुछ बेहतर हो सकता है। बस इसके लिए बीजेपी-कांग्रेस को तैयार होना होगा। करना कुछ भी नहीं। अब लोकसभा चुनाव में इन दोनों में से जो सबसे अधिक सीट ले वह सरकार बनाये और दूसरी पार्टी उसको समर्थन दे। कांग्रेस को सीट अधिक मिले तो वह सरकार बनाये और बीजेपी उसको पाँच साल तक बाहर से समर्थन दे। बीजेपी को अधिक सीट मिले तो सरकार बीजेपी की कांग्रेस के समर्थन से पाँच साल चले. इस प्रयोग से छोटे छोटे दलों को बारगेनिंग करने का मौका नहीं मिलेगा। बेशक यह अटपटा सा है, किंतु प्रयोग करके देखने में हर्ज ही क्या है। इस से रोज की किच किच तो नही हुआ करेगी। वरना तो ये प्राइवेट कम्पनियाँ समर्थन के बदले इतना कुछ मांगने लगेंगी कि जिसको चुकाना देश के लिए भी सम्भव नहीं होगा। वैज्ञानिकों ने भी कई प्रयोग किए तब कहीं जाकर कोई एक प्रयोग सफल होकर आविष्कार के रूप में सामने आया। जो प्रयोग यहाँ बताया गया है उस से किसी का कोई नुकसान तो है ही नहीं। बस अपना अपना अहम् त्यागना होगा।
Thursday, 19 March 2009
चित्त भी मेरी पट्ट भी, सिक्का मेरे बाप का
बिहार में लालू प्रसाद यादव ने अपने कट्टर राजनीतिक 'दुश्मन" रामबिलास पासवान से एका कर लिया है। ऐसे में सारी खुदाई एक तरफ़ और जोरू का भाई एक तरफ़ हो गया। परिणाम यह हुआ कि जोरू का भाई साधू यादव नाराज हो गया। उसने कांग्रेस की ओर झाँका,कांग्रेस ने उसकी ओर। दोनों ने एक दूसरे की ओर झांक लिया , इसलिए देर सवेर इनको एकम एक हो ही जाना है। अब इस से इनमे से किसी को भी राजनीतिक रूप से नुकसान होने वाला नहीं। पासवान तो हर सरकार में एडजस्ट हो जाते है, शायद यही कारण है कि लालू ने उनको गले लगा लिया साधू यादव अलग पार्टी में हो जायेंगें। तब सरकार किसी भी पार्टी की हो हमारी ही होगी।होना भी यही चाहिए। भगवान परिवार में कई मेंबर दे तो सब को अलग अलग पार्टी में एडजस्ट करवा देना चाहिए। सरकार अपने घर में ही रहेगी। सोनिया गाँधी-मेनका गाँधी को आदर्श के रूप में अपनाया जा सकता है। सिंधिया परिवार का उदाहरण दिया जा सकता है। चौटाला परिवार को देख आगे बढ़ सकते हो। नए लोग प्रिया दत्त-संजय दत्त से प्रेरणा ले सकते हैं। ऐसे प्रेरणादायी व्यक्तित्व पंचायत स्तर से लेकर सरकार तक होते हैं। संस्कार,विचार,जमीर,आत्मा,आस्था जैसे शब्द गरीब और कुचले हुए लोगों के लिए हैं। बड़े लोग इनको इस्तेमाल नही करते । वे तो हमेशा यही कहते हैं कि चित्त भी मेरी,पट्ट भी और सिक्का मेरे बाप का।
Labels:
चित भी मेरी पट्ट भी,
सिक्का मेरे बाप का
Wednesday, 18 March 2009
परिपक्व कौन?पाकिस्तानी या हिन्दुस्तानी
आशंकाओं के बिल्कुल उलट पाकिस्तान में सब कुछ ऐसे शांत हो गया जैसे कहीं कुछ अशांत था ही नहीं। मीडिया पाक में पता नहीं क्या क्या होने की आशंका,संभावना जाता रहा था, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। वहां के सैनिक अफसर,राजनेता,सरकार कैसी है इस बारे में कोई बात नहीं करेंगे। बात उस जनता की जिसको लोकतंत्र में रहने की आदत नही इसके बावजूद उसने परिपक्वता का परिचय दिया। इतना लंबा मार्च,हजारों हजार जनता,सब के सब अनुशासित। सरकार के खिलाफ आक्रोश परन्तु सरकारी सम्पति को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुँचाया। मीडिया में एक भी ख़बर ऐसी नहीं थी जिसमे ये बताया गया हो कि जनता ने फलां स्थान पर सम्पति को नुकसान पहुँचाया। इसको परिपक्वता नहीं तो और क्या कहेंगें।इसके विपरीत हिंदुस्तान में अगर ऐसा होता तो सबसे पहले सरकारी सम्पति की ऐसी की तैसी होती। सबसे बड़े लोकतंत्र वाहक रेल पटरियां उखाड़ देते, सरकारी भवन,सरकारी वाहनों को आग के हवाले कर दिया होता। जो उनके रास्ते में आता तहस नहस हो जाता। हिंदुस्तान में इस प्रकार से न जाने कितनी बार हो चुका है। हमारी तो फितरत है, " हारेंगें तो मारेंगें,जीतेंगें तो लूटेंगें"। पाकिस्तानियों ने ऐसा कुछ भी नहीं किया।लोकतंत्र की डींग मारने वाले हिन्दुस्तानी अपने पड़ौसी से कुछ तो सीख ही सकते हैं। पाकिस्तान की जनता को सलाम करने में मेरे ख्याल से कोई बुराई नहीं है। चाहे पाकिस्तान में यह सब कुछ दिनों के लिए ही हो , किंतु जब अच्छा हुआ तब तो उसकी प्रशंसा कर ही देनी चाहिए।
Tuesday, 17 March 2009
गरीब की जोरू सबकी भाभी
किसी बड़े साहब या बड़े आदमी की बीबी को कोई भाभी कहने की हिम्मत नहीं करता। उसको बहिन जी,दीदी या मैम कहकर बुलाया जाता है। किंतु साधारण व्यक्ति की ज्ञानवान,गुणवान,संस्कारी ओर व्यवहारकुशल पत्नी को भी सब भाभी कहने में आनंद का अनुभव करते हैं। ऐसा ही कुछ कर रहा है श्रीगंगानगर से प्रकाशित एक बहुत बड़े समूह का अखबार। राजस्थान पत्रिका नामक इस जाने माने अख़बार के सम्पादकीय पेज के ऊपर लिखा रहता है"हो सकता है मैं आपके विचारों से सहमत न होऊं फ़िर भी विचार प्रकट करने के आपके अधिकारों की रक्षा करूँगा। -वाल्तेयर"। फ़ैसला पाठकों को करना है की यहाँ के सम्पादकीय से जुड़े सम्मानित जन ऐसा करते हैं या नहीं। हम तो केवल कुछ ख़बरों की जानकारी देंगें। श्रीगंगानगर में सोमवार को नगर के कई प्रतिष्ठित कपड़ा और चांदी-सोने के कारोबारियों के यहाँ आयकर विभाग ने कार्यवाही की। विभाग के अधिकारीयों के साथ बड़ी संख्या में पुलिस भी थी। यह ख़बर पत्रिका के अन्तिम पेज पर "आयकर सर्वे से हड़कंप" हैडिंग से प्रमुखता से प्रकाशित हुई। ख़बर में बताया गया किअपर आयकर आयुक्त ने फर्म संचालको से देर शाम तक पूछताछ की, उनको नोटिस देकर बुलाया गया था। मगर पत्रिका में किसी फर्म का नाम नही लिखा। ऐसा ही २७ फरवरी को प्रथम पेज पर प्रकाशित ख़बर में किया गया। ख़बर का हैडिंग था"निजी चिकत्सा संस्थान पर आयकर छापा"। बड़ी ख़बर थी, लेकिन किसके खिलाफ यह कार्यवाही हुई ,नाम नहीं था।अब दो दिन पहले की बात करें। पुलिस ने नगर के सभी साईबर कैफे के यहाँ जाकर रिकॉर्ड की जाँच की। उनको रिकॉर्ड किस प्रकार रखना है उसके बारे में निर्देश दिए। यह ख़बर पत्रिका ने नाम सहित छापी। बाकायदा साईबर कैफे के नाम लिखे गए जहाँ जहाँ पुलिस गई। फर्क इतना ही है कि साईबर वालों का कोई माई बाप नहीं है, ना ही इनके पास अरबों रुपयों का कारोबार है। इसलिए इनके नाम छाप देने से कोई तूफान नहीं आने वाला था। ख़बर में क्या लिखा जाएगा,किसका नाम होगा,नहीं होगा। यह उनकी पालिसी हो सकती है। लेकिन निष्पक्षता नहीं। चूँकि संपादक के पास सर्वाधिकार सुरक्षित हैं इसलिए उनको कुछ कहना सूरज को दीपक दिखाना है। किंतु एक पाठक यह प्रश्न तो कर ही सकता है कि क्या निष्पक्षता इसी को कहतें हैं? अगर कोई निष्पक्ष आदमी श्रीगंगानगर के सभी समाचार पत्रों में प्रकाशित उक्त कार्यवाही से सम्बंधित समाचार पढ़े तो वह जान जाएगा की ऐसी "निष्पक्षता"तो छोटे अख़बार भी नहीं दिखाते। जिनको हर रोज आर्थिक संकट से दो चार होना पड़ता होगा। मैं जानता हूँ किसी बड़े पर टिप्पणी करने से मुझ पर संकट आ सकता है मगर जो हो रहा है उसके बारे में लाखों पाठकों को जानकारी तो होनी ही चाहिए।
Monday, 16 March 2009
झुक गए जरदारी
---- चुटकी----
सियासत की
देखो लाचारी,
झुक गए
प्रेजिडेंट जरदारी।
----
पाक में, किसने
किसके सामने
डाले हथियार,
ये अभी तो
पर्दे में है मेरे यार।
सियासत की
देखो लाचारी,
झुक गए
प्रेजिडेंट जरदारी।
----
पाक में, किसने
किसके सामने
डाले हथियार,
ये अभी तो
पर्दे में है मेरे यार।
Sunday, 15 March 2009
पाक में कोहराम
---- चुटकी----
पाक में कोहराम
भारत की हुई
नींद हराम,
अमेरिका बैठा
सोच रहा है
किसको दूँ मैं
अब कमान।
पाक में कोहराम
भारत की हुई
नींद हराम,
अमेरिका बैठा
सोच रहा है
किसको दूँ मैं
अब कमान।
संसार का सुंदर मकान

The most beautiful house in the worldÇSituated in Barcelona , Spain Owned by the famous footballer, Ronaldhino
Saturday, 14 March 2009
मृत देह को दान कर दिया
डेरा सच्चा सौदा के मिशन सर्वजन हितार्थ मरणोपरांत देहदान अभियान के तहत एक और डेरा प्रेमी का शरीर मरने के बाद मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया गया। श्रीगंगानगर जिले के केसरीसिंहपुर कसबे सौदागर सिंह की पत्नी गुलाब कौर का निधन हो गया था। उनके परिवार वालों ने गुलाब कौर की डैड बॉडी एक मेडिकल कॉलेज को दान कर दी गई। उनके परिवार वालों और डेरा से जुड़े प्रेमियों ने गुलाब कौर को अन्तिम श्रद्धांजली अर्पित की। जिले में डेरा प्रेमियों द्वारा किया गया यह चौथा शरीर दान है।
Friday, 13 March 2009
पेट पकड़ कर रोता है
---- चुटकी---
हम समझ गए
पाक, तू पेट
पकड़ कर
क्यों रोता है,
असल में तेरे
लोकतंत्र
हजम नही होता है।
हम समझ गए
पाक, तू पेट
पकड़ कर
क्यों रोता है,
असल में तेरे
लोकतंत्र
हजम नही होता है।
Thursday, 12 March 2009
थंक यू पुलिस
मेरे खाते में पुलिस को दिए जाने वाले थैंक्स की संख्या ना के बराबर है। इस बार का थैंक्स सब से हटकर है। पुलिस ने होली पर खास इंतजाम किए। इंतजाम करना उनकी ड्यूटी में सुमार है, मगर कुछ अच्छा हो तो पीठ थपथपानी ही चाहिए। इस बार सड़क पर हुड़दंग मचाने वालों को पुलिस ने पकड़ा,उनके चालान काटे। दारू पीकर हल्ला गुल्ला मचाने वालों पर अंकुश लगाया। होली की गरिमा के लिए यह जरुरी हो गया था। पुलिस के इस इंतजाम से परिवार के साथ जा रही लड़कियों को शर्मिंदगी से दो चार नहीं होना पड़ा। नगर भर से जो फीड बैक मिला वह यही था कि इस बार पुलिस ने बढ़िया काम किया। इसके लिए उनका शुक्रिया। उम्मीद है पुलिस इसी प्रकार आम जन को अपना समझ कर कम करेगी। वरना तो पुलिस का डर आमजन के अलावा किसी को नहीं होगापुलिस के इस इंतजाम ने उस आलोचना को धो डाला जो नाके बंदी के कारण हुई थी। नाका बंदी क्या थी, बस ऐसे था जैसे नगर में कोई आतंकवादी घुस आयें हों। तब नगर के आम जन को भरी परेशानी और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था।
बेकसूर हूँ फ़िर भी सजा पाई है
हे खुदा कैसी तेरी खुदाई है
बेकसूर हूँ फ़िर भी सजा पाई है,
बेवफाई का इल्जाम नहीं कोई
चारों ओर फ़िर क्यों रुसवाई है।
जो चाहा वो मिला नहीं
भला करूँ तो कोई सिला नहीं
ये ज़िन्दगी है या
ज़िन्दगी के रूप में सजा पाई है।
बेकसूर हूँ फ़िर भी सजा पाई है,
बेवफाई का इल्जाम नहीं कोई
चारों ओर फ़िर क्यों रुसवाई है।
जो चाहा वो मिला नहीं
भला करूँ तो कोई सिला नहीं
ये ज़िन्दगी है या
ज़िन्दगी के रूप में सजा पाई है।
Wednesday, 11 March 2009
तन मन हो जाए रंगीन
Tuesday, 10 March 2009
आया भरतार लगाया ना रंग
लगा गुलाल
गया मलाल,
मन में उमड़ा
प्रीत का ज्वार
दोनों मिले
बाहें पसार।
----
आया भरतार
लगाया ना रंग
प्यासी गौरी
लग गई अंग।
गया मलाल,
मन में उमड़ा
प्रीत का ज्वार
दोनों मिले
बाहें पसार।
----
आया भरतार
लगाया ना रंग
प्यासी गौरी
लग गई अंग।
Monday, 9 March 2009
सिमट गई सजनी सारी की सारी
झीने कपडों पर
साजन ने मारी
प्रेम भरी पिचकारी,
सकुचा कर
अपने आप में
सिमट गई सजनी
सारी की सारी ।
साजन ने मारी
प्रेम भरी पिचकारी,
सकुचा कर
अपने आप में
सिमट गई सजनी
सारी की सारी ।
रंग छोड़ के अंग लगा ले
रंग छोड़ कर
अंग लगा ले
मैं हो जाउंगी लाल रे,
मौका और दस्तूर भी है
तू बात ना मेरी टाल रे।
---
इन रंगों को तू भी जाने
मिनटों में बह जायेंगें,
प्रीत का रंग है सबसे पक्का
रगड़ रगड़ थक जायेंगें।
अंग लगा ले
मैं हो जाउंगी लाल रे,
मौका और दस्तूर भी है
तू बात ना मेरी टाल रे।
---
इन रंगों को तू भी जाने
मिनटों में बह जायेंगें,
प्रीत का रंग है सबसे पक्का
रगड़ रगड़ थक जायेंगें।
Friday, 6 March 2009
चील,कौव्वे और गिद्ध
लोकतंत्र में
बार बार
हर बार
यही हो रहा है सिद्ध,
खरगोश, मेमने
चुनाव जीतते ही
बन जाते हैं
चील,कौव्वे और गिद्ध,
चुनाव के समय
डरे,सहमे जो
खरगोश,मेमने
जन जन के सामने
मिमियाते हैं,
चुनाव जीतने के बाद
चील,कौव्वे,गिद्ध में तब्दील हो
देश और जनता को
नोच नोच कर खाते हैं,
लोकतंत्र की विडम्बना देखो,
यही चील,कौव्वे,गिद्ध
अपने इस रूप में
जनसेवक कहलाते हैं।
बार बार
हर बार
यही हो रहा है सिद्ध,
खरगोश, मेमने
चुनाव जीतते ही
बन जाते हैं
चील,कौव्वे और गिद्ध,
चुनाव के समय
डरे,सहमे जो
खरगोश,मेमने
जन जन के सामने
मिमियाते हैं,
चुनाव जीतने के बाद
चील,कौव्वे,गिद्ध में तब्दील हो
देश और जनता को
नोच नोच कर खाते हैं,
लोकतंत्र की विडम्बना देखो,
यही चील,कौव्वे,गिद्ध
अपने इस रूप में
जनसेवक कहलाते हैं।
Wednesday, 4 March 2009
समझ सको तो समझ लो
---- चुटकी----
पाक ने तो ख़ुद
ही कर दिया
सबूतों का खुलासा,
समझ सको तो
समझ लो
उसकी यह भाषा।
पाक ने तो ख़ुद
ही कर दिया
सबूतों का खुलासा,
समझ सको तो
समझ लो
उसकी यह भाषा।
Monday, 2 March 2009
मंत्री कुन्नर को बधाइयों का ताँता
जन जन में लोकप्रिय गुरमीत सिंह कुन्नर के मंत्री बनते ही उनको बधाई देने वालों का ताँता लग गया है। आज श्री कुन्नर के निकटम व्यक्तियों में से सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं से जुड़े प्रमुख व्यापारी रतन लाल बागडिया,श्याम लाल बागडिया,तिलक राज शर्मा और हनी शर्मा ने उनको बधाई देते हुए कांग्रेस के अध्यक्ष सोनिया गाँधी,राहुल गाँधी सहित राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार व्यक्त किया है। जिन्होंने एक इमानदार और साफ छवि के नेता को मंत्री बनाकर उनका सम्मान किया ये सब आज अपने परिवार और मित्रों के साथ उनक स्वागत की तैयारियों में में लगे हुए हैं।
इनके व्यापारिक प्रतिष्ठान
१--कृष्णा एडिबल आयल मिल्स,रिको श्रीगंगानगर
२--कृष्णा ट्रेडर्स नई धानमंडी श्रीगंगानगर
३--जय श्रीराम ट्रेडिंग कम्पनी,श्रीगंगानगर
४--एस।एम।आर। लीजिंग एंड फाइनेंस लि० श्रीगंगानगर
५--शुभम कोमर्शियल कारपोरेशन नई धन मंडी श्रीगंगानगर
६--कृष्णा इंडस्ट्री पदमपुर
७--एस।एम।इंडस्ट्री रिको श्रीगंगानगर
८--गंगानगर कमोडिटी लिमिटेड श्रीगंगानगर
के समस्त संचालक और कर्मचारी आज गुरमीत सिंह कुन्नर को मंत्री बनने पर बधाई दे रहे हैं।
इनके व्यापारिक प्रतिष्ठान
१--कृष्णा एडिबल आयल मिल्स,रिको श्रीगंगानगर
२--कृष्णा ट्रेडर्स नई धानमंडी श्रीगंगानगर
३--जय श्रीराम ट्रेडिंग कम्पनी,श्रीगंगानगर
४--एस।एम।आर। लीजिंग एंड फाइनेंस लि० श्रीगंगानगर
५--शुभम कोमर्शियल कारपोरेशन नई धन मंडी श्रीगंगानगर
६--कृष्णा इंडस्ट्री पदमपुर
७--एस।एम।इंडस्ट्री रिको श्रीगंगानगर
८--गंगानगर कमोडिटी लिमिटेड श्रीगंगानगर
के समस्त संचालक और कर्मचारी आज गुरमीत सिंह कुन्नर को मंत्री बनने पर बधाई दे रहे हैं।
Subscribe to:
Posts (Atom)