हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
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Friday, 18 March 2011
फाल्गुन है ही कुछ ऐसा
श्रीगंगानगर-अहा! फाल्गुन। वाह!फाल्गुन। फाल्गुन कुछ है ही ऐसा। ठंडी बयार हर उस प्राणी को मदमस्त कर देती है मन फाल्गुन को जानता हो। कहते भी हैं कि फाल्गुन में तो जेठ भी देवर लगता है। ऐसे ही निराले मौसम में जब पंचायती धर्मशाला में होली का कार्यक्रम हुआ तो मोर पीहू पीहू करने लगे और लोग लगे थिरकने। धर्मशाला की हर ईंट गारे को यह सुहानी शाम याद रहेगी अगले फाल्गुन तक। कार्यक्रम बेशक तय समय से लेट शुरू हुआ मगर हुआ खूब। चंग धमाल पहले हुआ। मेहमान लेट आये। उनको होली पर श्रद्धांजलि, सॉरी बड़े लोग थे इसलिए श्रद्धांजली के ल में बड़ी मात्रा ठीक रहेगी,दी गई। यह प्राप्त करने वालों में अधिकृत रूप से पूर्व सांसद शंकर पन्नू, प्रमुख पति हंस राज पूनिया, बार संघ के अध्यक्ष इंदरजीत बिश्नोई,व्यापार मंडल के अध्यक्ष नरेश शर्मा, सभापति जगदीश जांदू, पूर्व विधायक हेतराम बेनीवाल ,कैप्टेन राजेन्द्र सिंह, शेखावटी विकास समिति के सुभाष तिवाड़ी और पत्रिका के अरविन्द पांडे थे। इनको "हार" पहनाये गए। जनवादी महिला समिति की दुर्गा स्वामी को माला पहनाने की जिम्मेदारी एडवोकेट भूरा मल स्वामी को दी गई। जब वो फूलों की माला लेकर चले तो किसी ने एक माला दुर्गा स्वामी को भी थमा दी। दोनों ने एक दूसरे को माला पहना कर सबके सामने अपनी शादी को री न्यू किया। गंजों के प्रतिनिधि के रूप में वहां आये समाज सेवी वीरेंद्र वैद और एडवोकेट चरनदास कम्बोज को भी नमन किया गया। शेखावटी विकास समिति के कलाकारों ने अपनी हर अदा से सभी को मोहित किया। चंग पर थाप हो या धमाल। नाचने का अंदाज हो या मोर की पीहू पीहू। सब कुछ एकदम परफेक्ट था। उनकी प्रस्तुतियों ने कौन ऐसा था जिसको उनके साथ थिरकने के लिए मजबूर, नहीं मजबूर नहीं, लालायित नहीं किया। वरिष्ठ पत्रकार कमल नागपाल कहा करते थे कि हर इन्सान में एक कलाकार होता ही है। यही तो यहाँ दिखाई दिया। हेतराम बेनीवाल ने अपनी उम्र के हिसाब से ठुमके लगाए। हंस राज पूनिया ने ढफ यूँ पकड़ा जैसे कलाकार पकड़ते हैं। उनके कदम उसी के अनुरूप थिरके। बाद में उन्होंने कुछ लाइन भी गाई। ऐसा लगा जैसे उनका संकोच खुले,मौका मिले तो धमाल मचा सकते हैं। के सी शर्मा के निराले डांसिंग अंदाज ने आनंदित किया। उनके चुटकुले से ठहाके गूंजे।नरेश शर्मा ,रमेश नागपाल भी मजेदार नाचे। फिर तो एक एक करके सबको नचाया गया। जिनकी पत्नी भी थी [ वहां मौके पर] वे जोड़े से नाचे। किसी और ने होली की मस्ती जानकर हाथ पकड़ने की कोशिश की तो उसको निराशा हुई। संपत बस्ती की एक महिला ने नृत्य किया। उनके लिए बार कौंसिल के अध्यक्ष नवरंग चौधरी ने भूरा मल स्वामी के कहने पर मंच पर विराजित मेहमानों से ईनाम इकट्ठा किया। उस महिला की तो होली बढ़िया हो गई। मनीष- सिमरन ने बहुत आकर्षित किया। उनको भी नकद ईनाम मिला । इस चक्कर में जो तवज्जो चंग धमाल के कलाकारों को मिलनी चाहिए थी वह उनको नहीं मिल पाई। फिर भी यह शाम तो उनकी ही थी सो उनके ही नाम रही। कार्यक्रम ख़तम होने के बाद मैंने ११ साल के बेटे से पूछा , कैसा लगा प्रोग्राम? उसका कहना था, चंग धमाल कम बाकी सब अधिक था। जबकि उसको यह समझ नहीं आया था कि वो गा क्या रहे हैं। होली की कुछ लाइन--रंगों में भीगी सखियाँ ,मुझसे यूँ बोली, साजन के संग बिना री,काहे की होली। घर घर धमाल मचाए ,सखियों की टोली, साजन परदेश बसा है कैसी ये होली।
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