हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Saturday 20 February, 2010
साजन का संग ना
सखियाँ रंगों में हो ली संग है सजना, मेरी होली तो हो ली साजन का संग ना। ---- रंगों में भीगी सखियाँ मुझसे यूँ बोली, साजन के संग बिना री काहे की होली। ---- हाथों में ले पिचकारी आई मेरी सखियाँ, साजन की राह निहारे मेरी सूनी अखियाँ ।
1 comment:
bahut pyara hplee kee pratiksha karata ye geet........
Intzar kee ghadiya bhee pyaree hotee hai .........
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