हर इन्सान हर पल किसी ना किसी उधेड़बुन में रहता है। सफलता के लिए कई प्रकार के ताने बुनता है। इसी तरह उसकी जिन्दगी पूरी हो जाती हैं। उसके पास अपने लिए वक्त ही नहीं । बस अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल लो और जिंदगी को केवल अपने और अपने लिए ही जीओ।
Saturday 28 February, 2009
किसी ने कहा अपशगुन किसी ने कहा वरदान
Wednesday 25 February, 2009
लैला-मंजनू की आखिरी पनाहगाह
लैला -मंजनू की इसी मजार के बारे में जी न्यूज़ चैनल पर प्राइम टाइम में आधे घंटे की स्टोरी दिखाई गई। सहारा समय भी इस बारे में कुछ दिखाने की तैयारी कर रहा है।
Tuesday 24 February, 2009
नफ़रत मत करना मां
मुझ से दो बातें करले
नो माह के सफर को
तीन माह में विराम
देने का निर्णय कर
तू चैन की नींद सोई है,
सच मान तेरे इस निर्णय से
तेरी यह बिटिया बहुत रोई है,
नन्ही सी अपनी अजन्मी बिटिया के
टुकड़े टुकड़े करवा
अपनी कोख उजाड़ दोगी!
सुन मां,
बस इतना कर देना
उन टुकडों को जोड़ कर
इक कफ़न दे देना,
ज़िन्दगी ना पा सकी
तेरे आँगन की चिड़िया
मौत तो अच्छी दे देना,
साँसे ना दे सकी ऐ मां,मुझे तू
मृत रूप में
अपने अंश को देख तो लेना
आख़िर
तेरा खून,तेरी सांसों की सरगम हूँ,
ऐ मां,मुझसे इतनी नफरत ना करना
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लेखक--डॉ० रंजना
३१६/अर्बन एस्टेट सैकिंड
भटिंडा[पंजाब]
यह कविता डॉ० रंजना के भाई डॉ० विवेक गुप्ता के बताकर यहाँ पोस्ट की गई है।
Sunday 22 February, 2009
भ्रम,चमत्कार या अन्धविश्वास
Saturday 21 February, 2009
छुआछूत बढ़ा है --बूटा सिंह
Friday 20 February, 2009
विचार नहीं स्टार चाहिए
विचार नहीं,खेल
फ़िल्म,टीवी के
बड़े स्टार चाहिए,
सांसद बनना है तो
आप भी हमारे
झंडे के नीचे आइए।
Thursday 19 February, 2009
नीरज जी ने किया मीणा की पुस्तक का विमोचन
Wednesday 18 February, 2009
चैन दिल को समझाने में है
इनका भी कुछ जिक्र होना चाहिए
Tuesday 17 February, 2009
Friday 13 February, 2009
वेलेंटाइन डे मनाओ जरा हट के
Wednesday 11 February, 2009
चड्डी और साड़ी में घमासान
वेलेंटाइन डे पर
चड्डी और साड़ी में
हो गया घमासान,
कोई जीते कोई हारे
दाव पर लगा दी
नारी की शान।
प्रेम के देश में प्रेम का आयात
Tuesday 10 February, 2009
जाते जाते नई शुरुआत
Monday 9 February, 2009
भिखारिन लगाती है भंडारा
कैसे बनेगा काम जी
पाक में जिन्ना
भारत में राम जी,
आडवानी जी का
पता नहीं
कैसे बनेगा काम जी।
Sunday 8 February, 2009
और क्या है जनाब
पाक, तालिबान,
जेहाद और कसाब,
इसके सिवा
न्यूज़ चैनलों में
और
क्या है जनाब।
Friday 6 February, 2009
खूब मिले दाम
क्रिकेट खिलाड़ियों के
खूब लगे दाम,
इतनी मंदी में भी
इतना महंगा
मिला सामान।
--गोविन्द गोयल
Wednesday 4 February, 2009
परदेसी बन भूल गया
दरवाजे पर खड़ी खड़ी
सजनी करे विचार
फाल्गुन कैसे गुजरेगा
जो नहीं आए भरतार।
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फाल्गुन में मादक लगे
जो ठंडी चले बयार
बाट जोहती सजनी के
मन में उमड़े प्यार।
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साजन का मुख देख लूँ
तो ठंडा हो उन्माद,
"बरसों" हो गए मिले हुए
रह रह आवे याद।
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प्रेम का ऐसा बाण लगा
रिस रिस आवे घाव
साजन मेरे परदेसी
बिखर गए सब चाव।
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हार श्रंगार सब छूट गए
मन में रही ना उमंग
दिल पर लगती चोट है
बंद करो ये चंग।
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परदेसी बन भूल गया
सौतन हो गई माया
पता नहीं कब आयेंगें
जर जर हो गई काया।
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माया बिना ना काम चले
ना प्रीत बिना संसार
जी करता है उड़ जाऊँ
छोड़ के ये घर बार।
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बेदर्दी बालम बड़ा
चिठ्ठी ना कोई तार
एस एम एस भी नहीं आया
कैसे निभेगा प्यार।
अकेली कहाँ है बावला
चुनाव में कांग्रेस
अकेली कहाँ है बावला,
उसके साथ है
चुनाव आयुक्त चावला।